Guru Ravids Jayanti 2022: रविदास या रैदास जयन्ती बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। रविदास जयन्ती सम्पूर्ण भारत में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस रविदास जी का जन्मदिन होता है। रविदास के बारे में अधिक जानकारी के लिए पोस्ट को पूरा पढ़े।
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Guru Ravids Jayanti 2022 (गुरु रविदास जयन्ती)
गुरु रविदास या रैदास जयन्ती प्रत्येक वर्ष सम्पूर्ण भारत में हर्ष और उल्लास के साथ मनायी जाती है। इस दिन गुरु रविदास जी का जन्म हुआ था। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार गुरु रविदास जी जन्म माघ माह की पूर्णिमा को हुआ था। इस लिए रविदास या रैदास का जन्मदिन माघ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन उनकी अमृतवाणी पढ़ी जाती है।
रविदास एक प्रसिद्ध रहस्यवादी कवि और गीतकार थे जो 1400 और 1500 के दशक में रहे। उनका “भक्ति आंदोलन” पर बहुत बड़ा प्रभाव था, जो हिंदू धर्म के भीतर एक “आध्यात्मिक भक्ति” आंदोलन था जो बाद में नए सिख धर्म में बदल गया।
रविदास जयन्ती की तारीख और समय
रविदास जयन्ती 2022, 16 फरवरी बुधवार को मनाया जायेगी।
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत – 21ः40 , 15 फरवरी
पूर्णिमा तिथि का समापन – 22ः30 , 16 फरवरी
रविदास जी का इतिहास
रविदास जी एक निम्न कुल से तालुक रखते थे। वे जाति के मोची थे और अपना जीवन-यापन जूता और चप्पल सिल कर करते थे। कहा जाता है कि जहाँ रविदास जूता और चप्पल सिलते थे उसी रास्ते से गंगा स्नान के लिए लोग जाते थे।
रविदास जी का 1398 ईवीं में हुआ था। वे एक भक्ति शाखा के कवि और लेखक थे। जिन्होंने अनेक कविताएं लिखी है। ये लगभग सौ वर्षों तक जीवित रहे। रविदास के जन्म को लेकर काफी भ्रान्तियाँ फैली है।
एक बार एक पंडित जी गंगा स्नान के लिए उसी रास्ते से जा रहे थे तब उन्होंने ने रविदास जी गंगा स्नान के लिए कहा तब रविदास जी ने की मेरे पास बहुत काम है। तब उन्होंने पंडित जी को अपने पास से चार सुपारी दी और कहा कि इस गंगा माँ को भेट दे देना।
पंडित जी स्नान करने के बाद उस सुपारी को माँ गंगा को भेट दी तभी माँ गंगा प्रसन्न होकर प्रकट हो गयी और अपने पास से एक कंगन जिस रविदास को प्रसाद स्वरूप देने को कहा।
कंगन में हीरे और मोती को देकर पंडित के मन में लालच आ गयी और कंगन को अपने पास रख लिया। कुछ दिन बाद वह कंगन पंडित जी ने राजा को भेद दे दी, वह कंगन रानी को बहुत पसंद आ गया। तब रानी ने राजा से दूसरा कंगन माँग। राजा ने उस पंडित को बुलाकर दूसरा कंगन देने को कहा।
तब पंडित जी ने रविदास जी को पूरी घटना विस्तार से बतायी तब संत रविदास ने अपनी कठौती (लकड़ी का बर्तन जिसमें जल भरा होता है) में जल भरकर भक्तिपूर्वक मां गंगा का आवाहन किया। गंगा मैया प्रसन्न होकर एक कटौती में प्रकट हुई और रविदास के अनुरोध पर एक और कंगन भेंट किया।
कहा जाता है कि “मन चंगा तो कठौती में गंगा” ये कविता तो आप ने सुनी होगी। जो रविदास द्वारा लिखा गया था। Guru Ravids Jayanti
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