Valmiki Jayanti 2021 |महर्षि वाल्मीकि जयंती, जाने वाल्मीकि जयंती का इतिहास

4 Min Read
Valmiki Jayanti 2021

Valmiki Jayanti 2021: महर्षि वाल्मीकि जयंती एक धार्मिक और सामाजिक त्योहार है। इस दिन को लोग बड़ी धूम-धाम से मनाते है। तथा इस दिन सामाजिक समारोह आयोजित किया जाता है। इस वर्ष वाल्मीकि जयंती 2021, 20 अक्टूबर बुधवार को मनायी जायेगी।

ये भी पढ़ेः- World Indigenous day in Hindi | विश्व आदिवासी दिवस

Valmiki Jayanti 2021

हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की है। वाल्मीकि जयंती केवल वाल्मीकि समाज वाले ही नहीं बल्कि पूरा देश बड़ी धूम-धाम से मनाता है। महर्षि वाल्मीकि का जन्म हिन्दू कैलेंडर के अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि (Valmiki Jayanti 2021) के दिन हुआ था। वाल्मीकि जयंती 2021, 20 अक्टूबर बुधवार को मनायी जायेगी। पूजा का समय 19 अक्टूबर को शाम 07:03 बजे शुरू होकर, 20 अक्टूबर को रात 08:26 बजे समाप्त होगा।

वाल्मीकि जयंती का महत्व (Significance of Valmiki Jayanti)

देश के अलग-अलग हिस्सों में वाल्मीकि जयंती मनायी जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार जब श्री राम और माता सीता 14 वर्ष वनवास बीता कर अयोध्या वापस आये तो नगर वासी ने उन पर मिथ्या आरोप लगाकर राजमहल से बाहर निकलवा दिया था। जिनके बाद माता सीता को वाल्मीकि के आश्रम में आश्रय मिला। जहां उन्होंने दो बालक लव-कुश को जन्म दिया। इसी लिए यह दिन काफी महत्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महर्षि वाल्मीकि के ध्यान लगाने की इतनी शक्ति थी कहा जाता है कि एक बार ध्यान लगाकर बैठ गये थे और उनके ऊपर दीमक ने अपना घर बना लिया था। लेनिक उनका ध्यान भंग नहीं हुआ था।

वाल्मीकि से जुड़े इतिहास (History of Maharishi Valmiki)

वाल्मीकि को हिन्दू की पौराणिक कथा रामायण का रचयिता माना जाता है। वे एक महान ऋषि थे। वाल्मीकि का वास्तविक नाम रत्नाकर था। वे एक डाकू थे। जो राहगीरों को लूटा करते थे। एक बार उसी रास्ते से कुछ साधु जा रहे थे। तभी उन्होंने साधुओं से अपने समान को रखने के लिए कहा। तभी साधु ने पुछा कि ये सब किसके लिए करते हो? तब उन्होंने कहा कि अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए ये सब काम करते है। तब साधु ने कहा कि क्या तुम्हारे इस कर्म में घर वाले भागीदार होंगे। तब उन्होंने घर जाकर पूछा तो सभी ने कहा कि ये तो आप का कर्तव्य है। आप के इस पाप का भागीदार मैं क्यों हूँ।

वापस आने के बाद उन्होंने साधु से सारी बात विस्तार से बताने के बाद साधुओं को अपना गुरु बना लिया और उनके साथ तपस्या करने के लिए वन में चले गये। उन्हें महर्षि नारद ने राम नाम का जप करने को कहा था तभी से वाल्मीकि ने राम नाम का जप किया और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ही ब्रह्मा जी ने उन्हें ज्ञान का भंडार दिया। आगे चलकर उन्होंने ने रामायण की रचना की।  जो कि हिंदू धर्म में आज एक धार्मिक ग्रंथ के तौर पर पूजी और पढ़ी जाती है।

ये भी पढ़ेः-

CSK vs KKR IPL 2021 FINAL | धोनी ने रचा इतिहास, चौथी बार जीता आईपीएल का खिताब।

Sirisha Bandla Biography in hindi, Parents, Husband, सिरीशा बंदला की आत्मकथा

World Suicide Prevention day 2021 in Hindi | विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस

Share this Article
By
Follow:
Experienced Content Writer with a demonstrated history of working in the education management industry. Skilled in Analytical Skills, Hindi, Web Content Writing, Strategy, and Training. Strong media and communication professional with a B.sc Maths focused in Communication and Media Studies from Dr. Ram Manohar Lohia Awadh University, Faizabad.
Leave a comment