Tokyo 2020 Paralympic Games, टोक्यो में पैरालंपिक का आगाज, पैरालंपिक का इतिहास, टोक्यो पैरालंपिक में दिखेगा भारतीय खिलाड़ियों का दमखम। जाने कौन-कौन है पदक जीतने का दावेदार।
टोक्यो ग्रीष्म ओलंपिक 2020 के बाद अब दुनियाभर के खेल प्रेमियों की नजरे टोक्यो 2020 पैरालंपिक गेम्स पर टिकी है। पैरालंपिक 24 अगस्त से 5 सितम्बर के बीच खेला जायेगा। इस बार भारत 9 इवेंट में 54 एथलीट अपनी वीरता का प्रदर्शित करेंगे।
पैरालंपिक का इतिहास (History of Paralympics)
Tokyo 2020 Paralympic Games पैरालंपिक की शुरुआत 1960 में हुई थी। भारत ने पहली बार 1968 में पैरालंपिक में भाग लिया था। भारत ने 1984 से नियमित रुप से पैरालंपिक में भाग ले रहा है। भारत अबतक 11 पैरालंपिक में भाग ले चुका है। भारत ने अबतक 4 गोल्ड, 4 सिल्वर और 4 कांस्य जीता है। देखने की बात यह कि इसमें 10 पदक एथलेटिक्स के इवेंट्स में हासिल हुए हैं।
भारत का रियो पैरालंपिक में अच्छा प्रदर्शन रहा जिसमें भारत में 2 गोल्ड, एक सिल्वर और एक कांस्य जीता था। इस बार टोक्यो ओलंपिक में रियो से अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है।
Tokyo 2020 Paralympic Games टोक्यो पैरालंपिक में भारतीय पैरा एथलीट टेबल टेनिस, तैराकी, तीरंदाजी, केनोइंग, एथलेटिक्स, निशानेबाजी, बैडमिंटन, पावरलिफ्टिंग और ताइक्वांडो सहित कुल 9 इवेंट में भाग लेंगे।
पैरालंपिक में पदक जीतने वाले पैरा एथलिट(Tokyo 2020 Paralympic Games)
मुरलीकांत पेटकर
1972 में हैडिलवर्ग पैरालंपिक में मुरलीकांत पेटकर ने 50 मीटर फ्रीस्टाइल 3 तैराकी में गोल्ड मेडल जीता था। और इस प्रकार पैरालंपिक में गोल्ड मैडल जीतने वाले पहले पैरा एथलीट बन गये। मुरलीकांत पेटकर भारतीय सेना में कार्यरत थे, 1965 में भारत-पाक युद्ध में अपना पैर गंवा दिया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
जोगिंदर सिंह बेदी
जोगिंदर सिंह बेदी ऐसे भारतीय एथलिट है जिन्होंने तीन बार पैरालंपिक पदक जीता है। ओलंपिक में पदक जीतने वाले सुशील कुमार और पी.वी. सिन्धू ऐसे भारतीय जिन्होंने दो बार पदक जीता है। जोगिंदर सिंह बेदी ओलंपिक में सबसे ज्यादा पदक जीतने वाले खिलाड़ी है। उन्होंने 1984 के पैरालंपिक (Stoke Mandeville/New York) में एक सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल जीते था। उन्होंने ने जेवलिन थ्रो में भी अच्छा प्रदर्शन किया था।
भीमराव केसरकर
भीमराव केसरकर ने 1984 पैरालंपिक में जेवलिन थ्रो में रजत पदक जीता था। भीमराव ने 100 मीटर L-6 फ्रीस्टाइन में भी भाग लिया था लेकिन पांचवे स्थान पर रहे।
देवेंद्र झाझरिया
देवेंद्र झाझरिया दो गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय एथलिट है, उन्होंने 2004 एथेंन और 2016 रियो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीता है। देवेंद्र झाझरिया को टोक्यो पैरालंपिक में हैट्रिक लगाने का मौका है। तथा इनसे गोल्ड मैडल की उम्मीद की जा रही है।
राजिंदर सिंह राहेलू
राजिंदर सिंह राहेलू ने 2004 में एथेंस पैरालंपिक में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने 56 किलोग्राम भारोत्तोलक में 157.5 उठाकर कांस्य पदक अपने नाम किया और देश का नाम दुनिया भर में रोशन किया।
गिरीशा एन. गौड़ा
गिरीशा 2012 लंदन पैरालंपिक में इकलौता पदक था, जिन्होंने रजत पदक जीता था। गौड़ा जी 1.57 मीटर ऊंची छलांग लगाकर सिल्वर पदक हासिल किया था।
मरियप्पन थंगावेलु
तमिलनाडु के मरियप्पन थंगावेलु ने रियो पैरालंपिक 2016 में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने पुरुष की T-42 ऊंची कूद में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने 1.89 मीटर छंलाग लगाकर पदक अपने नाम किया था। मरियप्पन थंगावेलु को टोक्यो पैरालंपिक 2020 के उद्घाटन समारोह में ध्वजवाहक के रुप में चुना गया है।
वरुण सिंह भाटी
रियो पैरालंपिक में मरियप्पन थंगावेलु के साथ पोडियम फीनिश किया था। उन्होंने मरियप्पन के साथ ऊंची कूद में 1.86 की छलांग लगाकर तीसरा स्थान प्राप्त किया और कांस्य पदक देश के नाम किया था। टोक्यो पैरालंपिक में वरुण से स्वर्ण पदक की उम्मीद की जा रही है।
दीपा मलिक
दीपा मलिक भारतीय पैरालंपिक की एक मात्र खिलाड़ी है जिन्होंने 2016 रियो पैरालंपिक में शॉट-पुट थ्रो में रजत पदक जीता था। पैरालंपिक में दीपा का सबसे अच्छा थ्रो 4.61 मीटर का रहा है। दीपा मलिक को 2020 में भारतीय पैरालंपिक समिति (PIC) का अध्यक्ष चुना गया उसी के बाद दीपा ने पैरालंपिक से संन्यास ले लिया। (Tokyo 2020 Paralympic Games)
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