Geeta Jayanti Festival in Hindi: भगवद् गीता हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र, धार्मिक ग्रंथ है। जो लोगों को प्रभावित करता है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने अपने परम मित्र अर्जुन को कुरुक्षेत्र के मैदान में गीता का उपदेश दिया था। गीता जयंती मार्गशीर्ष मास की शुक्ल एकादशी को पड़ता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह जयंती नवम्बर या दिसम्बर माह के दौरान मनाया जाता है। श्रद्धालु इस दिन को बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं।
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गीता जयंती (Geeta Jayanti) शुभमुहूर्त और तिथि 2022
गीता जयंती का उत्सव मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकदशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल यानी कि 2022 में भगवद्गीता जयंती 03 दिसम्बर 2022, दिन शनिवार को मनाई जायेगी.
एकादशी तिथि शुरु- भोर 5:40 – 3 दिसम्बर, 2022
एकादशी तिथि समाप्त – भोर 5: 35 – 4 दिसम्बर 2022
गीता जयंती पर भगवद् गीता पढ़कर विद्वान पुजारी और विद्वान लोग शास्त्रार्थ करते है। कि कैसे अभी लोगों को लाभ पहुँच रहा है। एकादशी के दिन भक्त भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करते है। भक्त गीत के साथ नृत्य करते है। गीता जयंती मनाने का मुख्य उद्देश्य गीता के वचनों को याद करना तथा इसे अपने जीवन में लागू करना है। यह व्यक्तियों और परिवारों को एक साहसी के साथ-साथ एक सक्रिय जीवन जीने की अनुमति देता है जो उत्पादक है।
Gita Jayanti त्योहार की रस्में
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों में बड़ी उत्साह के साथ मनाया जाता है। एकादशी के दिन भक्त पूरा दिन उपवास रखते है। रात्रि में पूजा और आरती करके लोग अपने उपवास को तोड़ते है।
इस दिन भारत और विदेश के लोग विभिन्न हिस्से से कुरुक्षेत्र की यात्रा करते है। यहां पर स्थित पवित्र तलाब में स्नान करते है।
पवित्र तलाब में स्नान करने के बाद पूजा अर्चना करते है।
इस दिन जो भक्त उपासना या उपवास रखते है उन्हें चावल, गेहूं और जौ जैसे किसी भी प्रकार के अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस दिन गीता के आर्दश शब्दों से युवाओं को संदेश देते है। तथा उन्हें अच्छे विचार रखने की प्रेणा देते है।
भगवद् गीता का संक्षिप्त परिचय
कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों के बीच हुए धर्म युद्ध में पाड़वो की विजय हुई थी। कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में श्रीकृष्ण के द्वारा अर्जुन को गीता उपदेश दिया था। अब यह स्थान हरियाणा के कुरुक्षेत्र के नाम से जाना जाता है। कुरुक्षेत्र हिन्दूओं का पवित्र और धार्मिक स्थल है। यह ग्रंथ तीसरे व्यक्ति द्वारा लिखा गया था। राजा धृतराष्ट्र को संजय द्वारा युद्ध का सम्पूर्ण वृत्तांत सुनाया गया था। क्योंकि गीता का वर्णन भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच में हुआ था। संजय को मुनि वेदव्यास द्वारा दिव्यदृष्टि प्रदान की गयी थी।
भगवद् गीता का सम्पूर्ण वृत्तांत वेदव्यास द्वारा लिखा गया है। भगवद् गीता में आज के समय तथा भविष्य की घटना का समाधान दिया गया है।
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