मिस्र के पिरामिड 2021- दुनिया के सात अजूबों में शामिल मिस्र का पिरामिड एक है प्राचीन काल में पिरामिड बनाना देशों का एक शौक था। वैसे मिस्र के पिरामिड मिस्र के तत्कालीन सम्राट अपने शव को दफनाने के लिए पिरामिड का निर्माण करवाते थे।
राजाओं के शव को ममी में सुरक्षित रखकर दफनाया जाता था। मिस्र के शव के साथ खाद्य पदार्थ, कपड़े, खेल के सामान, पेय पदार्थ, गहनें, बर्तन वाद्य यंत्र, जानवरों तथा कभी-कभी सेवक और सेविकाओ, इत्यादि को दफनाते थे। उनका मानना था कि इन सब चीजों का प्रयोग करते थे।
मिस्र की सभ्यता, भारतीय सिन्धु सभ्यता और मेसोपोटामिया की सभ्यता के साथ अपने चरम पर थी। मिस्र की सभ्यता भी भारत की सभ्यता की तरह बहुत पुरानी है। दोनों सभ्यताऐं लगभग 2500 ईंसा पूर्व चरम पर थी।
मिस्र के पिरामिड 2021
मिस्र में 138 पिरामिड है जिसमें काहिरा के उपनगर गीज़ा के तीन पिरामिड में से ग्रेट पिरामिड गीज़ा ही विश्व विरासत की सात अजूबों की सूची में शामिल है। सात अजूबों की सूची में एक मात्र प्राचीन विरासत शामिल है जिसे चीर काल तक नहीं खत्म किया जा सकता है।
इस पिरामिड की ऊंचाई 450 फुट है। जो 43 सदियों तक विश्व की सबसे ऊंची संरचना रहीं। यह कीर्तिमान 19वीं सदीं में टूटा। इसका आधार 13 एकड़ में फैला है। जो 16 फुटबॉल मैदान के बराबर है। यह लगभग 26 लाख चूनापत्थरों से निर्मित है।
प्रत्येक पत्थर लगभग 2 से 30 टनों तक वजन है। इसे इतनी सफाई से बनाया गया है कि इसके अन्दर एक ब्लेड भी नहीं जा सकती है। ऐसा कीर्तिमान न कभी बना है और न कभी बनेगा। प्राचीन काल में न कोई मशीनरी और न कोई टेकनॉजी थी फिर भी इतनी ऊंची पिरामिड का निर्माण किया गया था। पिरामिड का निर्माण 2560 ईसा पूर्व मिस्र के शासक(सम्राट) खुफु के चौथे वंशज ने अपनी क्रब के लिए इसका निर्माण करवाया था इसे बनाने में लगभग 23 वर्ष का समय लगा था।
मिस्र के पिरामिड 2021
मिस्र के पिरामिड पर कई सवाल उठ रहे है कि बिना मशीनरी और आधुनिक उपकरण से 450 फीट तक पत्थर के टुकड़े को इतनी ऊंचाई तक कैसे पहुंचाया गया और मात्र 23 वर्षों में पूरा कर लिया। अगर सूक्ष्म गणना की जाय तो दर्जनों श्रमिक साल में (365 दिन) हर रोज 10 घंटे काम करे तो प्रत्येक दो मिनट में एक पत्थर को रखा जा सकता है। क्या बिना आधुनिक उपकरण और वैज्ञानिक ज्ञान के ऐसा सम्भव था।
अनुमान लगाया जाता है कि विशाल श्रमिक के साथ विज्ञान का भी अच्छा ज्ञान रहा होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक इतनी कार्य कुशलता और सफाई से काम किया गया है जैसे कि किसी मशीनरी या आधुनिक उपकरण का प्रयोग किया हो। पिरामिड के निर्माण में कई खगोलीय आधार भी पाये गये है। तथा पिरामिड के कई रहस्य भी है जो हम इस पोस्ट में दिया गया है।
मिस्र पिरामिड के कई रहस्य
पहला रहस्य
पिरामिड पर स्वस्तिक का प्रयोग किया है। स्वस्तिक की खोज भारत में आर्यों द्वारा की थी। जिसे पूरी दुनिया में पहुंचा। स्वास्तिक चिन्ह का प्रयोग सूर्य की उपासना के लिए किया जाता है।
स्वास्तिक चिन्ह हिन्दू धर्म की शक्ति, सौभाग्य, समृद्धि और मंगल का प्रतीक माना जाता है। स्वस्तिक चिन्ह से घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर जाती है। और मन को शान्ति प्राप्त होती है।
दूसरा रहस्य
उत्तर और दक्षिण गोलार्द्धः-
वैज्ञानिकों का कहना है कि सभी पिरामिड को उत्तर और दक्षिण अक्ष पर बनाया गया है। मिस्र निवासियों को गोलार्द्ध के बारे में सम्पूर्ण जानकारी थी। उत्तरी- दक्षिणी के भू-चुम्बकीय और तरंगों के बारे में ज्ञान था। आकाशी बिजली से बचने के लिए पिरामिड के ऊपरे सिरे जोड़कर सीधे धरती से जोड़ देते था। जिससे बिजली चमकने या गरने पर पिरामिड पर कोई प्रभाव न पड़े। इनके निर्माण में ग्रेनाइट पत्थर का प्रयोग किया है जिसमें सूक्ष्म तरगों को अवशोषित करने के गुण विद्यामान है। जिससे इसके अन्दर रखी वस्तु जल्दी खराब नहीं होती है। (मिस्र के पिरामिड 2021)
तीसरा रहस्य
पिरामिड के अन्दर बदलता है गुण धर्मः-
पिरामिड के उत्तर-दक्षिण दिशा अक्ष पर होने के कारण इसमें ज्ञात और अज्ञात शक्ति ब्राह्मण से स्वयं ही विद्यामान हो जाती है। पिरामिड के अन्दर रखी जीवित या मृत, जड़, चेतना या पेड़, बीज इत्यादि को रखने पर ये अपने गुण धर्म बदल जाते है अर्थात् लम्बे समय तक खराब नहीं होते है। इसी कारण 4 से 5 हजार वर्ष पहले राजाओं के शव को ममी में रख कर पिरामिड के अन्दर रख दिया जाता था। जिससे शव काफी लम्बे समय तक सुरक्षित रहता है।
घरेलू पिरामिड बनाने की शुरुआत फ्रांसीसी वैज्ञानिक मॉसियर बॉक्सि ने की। किसी भी प्रकार के पिरामिड जब कोई भी वस्तु रखी जाती है तो वह उसका गुण धर्म बदल जाता है। जब लोगों को कोई शारिरीक समस्या होती है। तो लोग पिरामिड के अन्दर उत्तर – दक्षिण दिशा में बैठ जाते थे तो हद तक उनकी समस्या दूर हो जाती है। शरीर में दर्द हो तो लोग पिरामिड के अन्दर पानी रख देते हैं। और उसी पानी से शरीर पर मसाज करने से शरीर का दर्द दूर हो जाता था। पानी से शरीर की छुर्रिया दूर हो जाती था। पानी पीने से पाचन क्रिया भी ठीक हो जाती है।
जब लोगों के दाँत में दर्द होता था तो लोग पिरामिड के अन्दर उत्तर – दक्षिण दिशा बैठने पर दर्द कुछ ही समय में दूर हो जाता है।
अगर खेत में बीज बोने से पहले पिरामिड के अन्दर रख दिया था तो वो जल्दी और अच्छी तरह से अंकुरित हो जाता था। और फल भी अच्छा आता है।
पिरामिड के अन्दर बैठ कर साधना करने से भी साधको को ऊर्जा प्राप्त होती है।
United Nations Peacekeeping Force । संयुक्त राष्ट्र शांति सेना।