Pongal Festival 2022 Wishes: भारत त्योहारों का देश है। नये साल के आते ही त्योहारों की शुरुआत हो चुकी है। 13 जनवरी को लोहड़ी का पर्व, 14 जनवरी को मकर संक्रांति के साथ-साथ पोंगल त्योहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। पोंगल त्योहार सूर्य देव समर्पित के साथ मकर संक्रांति से मेल खाता है।
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Pongal Festival 2022 Wishes
Pongal 2022 Date in Hindi: भारत त्योहारों का देश है। यहां हर त्योहार बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह हमारी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। यह त्योहार भी लोहड़ी और मकर संक्रांति से मेल खाता है। यह भी फसल का त्योहार है। पोंगल 2022, 14 जनवरी से शुरु होकर 17 जनवरी, मंगलवार 2022 को समाप्त होगा। पोंगल त्योहार मुख्यता दक्षिण भारत (तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश) में मनाया जाता है। उत्तर भारत में लोगों को इसका ज्ञान कम है।
पोंगल तमिलनाडु में मनाया जाने वाला एक चार दिवसीय फसल उत्सव है, जो थाई (यानी जनवरी-फरवरी के मौसम) के महीने में आता है जब चावल, गन्ना, हल्दी इत्यादि जैसी फसलें होती हैं। ‘पोंगल’ शब्द तमिल में इसका अर्थ है “उबालना”, और इस त्योहार को वर्ष की फसल के लिए धन्यवाद समारोह के रूप में मनाया जाता है।
पोंगल का अर्थ- उबालना
2022 में पोंगल की छुट्टी (Pongal Holidays In 2022)
त्योहार का नाम | दिनांक | दिन |
भोगी महोत्सव | 14 जनवरी | शुक्रवार |
सूर्य पोंगल | 15 जनवरी | शनिवार |
मट्टू पोंगल | 16 जनवरी | रविवार |
कानुम पोंगल | 17 जनवरी | सोमवार |
पोंगल का पहला दिन- भोगी महोत्सव
भोगी महोत्सव भगवान इंद्र, वर्षा के देवता और देवताओं के स्वामी के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन मंतलु का अनुष्ठान भी किया जाता है। इस पुराने समान को गाय उपले और अलाव में डाल दिये जाते है।
दूसरा दिन – थाई पोंगल या सूर्य पोंगल
इस दिन, एक विशेष अनुष्ठान किया जाता है इस दिन चावल और दूध को एक मिट्टी के बर्तन में उबाला जाता है – जिसमें एक हल्दी का पौधा बांधा जाता है – सूर्य देवता को प्रसाद के रूप में खुले आसमान में रखा जाता है। इसके साथ ही गन्ने की छड़ें, नारियल और केले भी चढ़ाए जाते हैं। सूर्य देवता को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद सूर्य की रोशनी में बनता है।
तीसरा दिन – मट्टू पोंगल
यह तीसरा दिन मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन बैल की पूजा होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार शिव जी के प्रमुख गणों में नंद जी से कुछ गलती हो गयी थी। जिस सुधार करने के लिए मृत्यु लोक में बैल बनाकर लोगों सेवा में भेज दिया था। इसीलिए इस दिन मवेशियों की पूजा की जाती है।
इस दिन मवेशियों की लड़ाई, जिसे “मंजू विस्तू” कहते है। दक्षिण भारत में हर घर में एक ऐसा सांड़ रखा जाता है जो बलवान हो और बलपूर्वक युद्ध करें।
कानुम या कन्या पोंगल
कानुम (या कन्या) पोंगल का चौथा दिन होता है। जिसे महिलाएं बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। जहां बचे हुए मीठे पोंगल और अन्न को एक केले पत्ते पर हल्दी, पान, सुपारी इत्यादि को आँगन में रख कर अपने भाई के लम्बे उम्र की कामना करते है। इस दिन लोग मंदिरों, पर्यटन स्थलों पर जाते हैं या अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी मिलने जाते हैं। इस दिन पक्षियों की पूजा की जाती है। बैल और पक्षी की लड़ाई इस दिन के त्योहार का मुख्य आकर्षण है। (Pongal Festival 2022 Wishes)
History of Pongal (पोंगल का इतिहास)
Pongal Festival 2022 Wishes: पोंगल से जुड़ी तमाम पौराणिक घटनाएं है। जिसमें एक घटना यह भी है कि मैदूर में कोवलन नाम के एक व्यक्ति रहा था वह काफी गरीब था एक दिन कुछ के लिए अपने पत्नी का पायल लेकर सोनार की दुकान पर बेचने गया था। सोनार को शंक हुआ कि यह पायल रानी के चोरी हुए पायल से मेल खाता है। इसकी सूचना सोनार ने राजा को दे दी। राजा ने बिना किसी जाँच-पताल के कोवलन को फाँसी की सजा सुना दी। कग्गणी ने भगवान शिव का घोर तप किया और उनसे दोषी राजा और उसके राज्य को नष्ट करने का वरदान मांगा।
जब इस घटना की जानकारी राज्य की महिलाओं को हुई तो महिलाओं ने किलिल्यार नदी के किनारे माँ काली की आराधना की और उनके प्रसन्न होने पर उनसे अपने राज्य तथा राजा की रक्षा हेतु कग्गणी के अंदर दया भाव जगाने की प्रार्थना की। महिलाओं की आराधना से प्रसन्न होकर माँ काली कग्गणी के अन्दर दया भावना जागृति किया और राज्य के राजा और प्रजा की रक्षा की कामना की।
इसकी सूचना शिलालेख से मिलती है। जिसमें प्राचीनकाल में इस पर्व को द्रविण शस्य (नई फसल) उत्सव के रुप में भी मनाया जाता था। तिरुवल्लुर मंदिर के शिलालेख से इस बात का पता चलता है कि इस दिन किलूटूंगा राजा द्वारा इस दिन गरीबों को कई प्रकार के दान दिये जाते थे।
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