Jallianwala Bagh Massacre in Hindi: जलियांवाला बाग हत्याकांड के बारे में आप ने तो सुना ही होगा, यह घटना 13 अप्रैल, 1919 को हुई थी। जलियांवाला बाग हत्याकांड उस समय के कांडों में यह सबसे जघन्य अपराधों में से एक है। सरकार डेटा के अनुसार 370 लोगों की मृत्यु हुई थी, और 1000 से अधिक लोग घायल हुए थे। लेकिन इसके पीछे की सच्चाई क्या है? कितने लोगों की हत्या हुई थी? क्या है सच्चाई?
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Jallianwala Bagh Massacre in Hindi (जलियांवाला बाग हत्याकांड)
जलियांवाला बाग नरसंहार 13 अप्रैल, 1919 को हुआ था। यह ब्रिटिश सरकार की क्रूरता की गवाही देता है। इस हत्याकांड की निंदा दुनियाभर के अख़बारों ने जमकर की थी। इस घटना को अंजाम देने का मुख्य उद्देश्य भारत में चल रहे स्वतंत्रता को दबाना था। लेकिन इस हत्याकांड के बाद हमारे देश के क्रांतिकारियों के हौसले और मजबूत हो गया। आखिर क्या कारण था जो इतने बेकसूर लोगों की निर्मम हत्या कर दी। इस हत्या का मुख्य आरोपी कौन था। क्या उसे सज़ा दी? जनरल डायर को कौन मारा था? इन सब सवालों का जबाव हम आप को इस पोस्ट में देंगे।
जलियांवाला बाग हत्याकांड
घटना का नाम | जलियांवाला बाग हत्याकांड |
घटना स्थल | अमृतसर, पंजाब (भारत) |
घटना की तारीख | 13 अप्रैल, 1919 |
अपराधी | ब्रिटिश भारतीय सैनिक और जनरल आर.ई.एच डायर |
कितने लोगों की जान गयी। | 370 लोगों ने जान गवायी (ब्रिटिश सरकार डेटा) |
कितने लोग घायल | 1000 से अधिक |
भारतीय डेटा | 1000 से अधिक लोगों की जान गयी |
जलियांवाला बाग हत्याकांड की पृष्टभूमि
रॉलेक्ट एक्ट का विरोध प्रदर्शन
साल, 1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा रॉलेक्ट एक्ट नामक एक कानून पास किया गया। जिसे भारतीयों ने काला कानून कहकर पुकार था। इस कानून में किसी भी भारतीय को शक के आधार पर गिरफ्तार कर लिया जाता है। यदि वह व्यक्ति भारतीय स्वतंत्रता सेनानी से मिला है, या आजाद में शामिल है। तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाता था। उस समय खिलाफत आंदोलन काफी चरम पर था। भारत में यह आंदोलन सफल भी रहा।
6 फरवरी, 1919 को ब्रिटिश सरकार ने इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल में एक रॉलेक्ट बिल पेश किया जिसे इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने मार्च के महीने में पास कर दिया और यह अधिनियम बन गया। इस कानून का भारत में विरोध हुआ। गांधी जी ने इसे “बिना अपील, बिना वकील तथा बिना दलील” का कानून कहा।
इसके आधार ब्रिटिश सरकार किसी को भी देशद्रोह के शक के आधार पर गिरफ्तार कर सकता था। और उस व्यक्ति को बिना जूरी के पेश होना और जेल में डाल देने का नियम था। इसके अलावा पुलिस दो साल तक जेल में रख सकती थी।
इसी एक्ट का विरोध करने के लिए जलियांवाला बाग में प्रदर्शनकारियों ने इस स्थान पर इकट्ठा हुए थे। उस समय पंजाब के हालात काफी खराब थी इसे व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी डिप्टी कमेटीर मिल्स इरविंग से लेकर ब्रिगेडियर जनरल आर.ई.एच डायर को सौंप दी थी। और डायर ने पंजाब की स्थिति सुधाने का काम 11 अप्रैल को शुरु कर दिया। पंजाब के कई क्षेत्रों में मार्शल लॉ लागू कर दिया।
उस समय पंजाब में दो अत्यन्त लोकप्रिय नेता डॉक्टर सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू को ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था। इसके विरोध में पंजाब के अमृतसर जिसे में स्थित जलियांवाला बाग में स्थानीय लोगों के द्वारा एक विरोध सभा का आयोजन 13 अप्रैल को किया गया। जिसे हंसराज नामक एक व्यक्ति संबोधित कर रहे थे।
इस सभा की सूचना 12ः40 बजे ले0 जनरल माइकल ओ0 डायर और जनरल आर0 डायर को मिली। वे 4 बजे अपने दफ्तर से 150 सैनिकों के साथ रवाना हुए। वहां पहुंचने पर उन्होंने बिना किसी चेतावनी के अपने सैनिकों को गोली चलाने का आदेश दे दिया। उस समय वहां पर 20000 से अधिक लोग इकट्ठा हुए थे। सिपाहियों 10 मिनट तक लगातार गोलियाँ चलायी थी। इससे बचने के लिए लोग भागने की कोशिश कर रहे थे लेकिन बाग के चारों ओर 10 फीट ऊँची दीवार थी। और मुख्य गेट से सैनिक गोलियाँ चला रहे थे। जान बचाने के लिए लोग कुंए में कुदने लगे। जिससे काफी लोग घायल हो गये थे। और कुछ लोगों की मृत्यु हो गयी थी।
भारतीयों ने इसका विरोध इस प्रकार किया था – रवीद्रनाथ टैगोर ने इस कांड के विरोध में अपनी ‘सर’ अथवा “नाइट हुड” की उपाधि लौटा दी। वाइसराय के कौंसिल से एक सदस्य शंकरन् नायर ने इस कांड के विरोध में त्यागपत्र दे दिया।
जनरल डायर का ब्रिटेन में सम्मान
ब्रिटेन में जनरल डायर की इस कृत्य के लिए शाबासी दी गयी। ब्रिटिश संसद के हाऊस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्यों ने डायर को “ब्रिटिश साम्राज्य का नायक” उपाधि के साथ 1200 पाउड व एक तलवार “Sword of Honour” से सम्मानित किया गया।
जनरल डायर की हत्या
डायर सेवानिवृत्त होने के लंदन में जाकर रहने लगे। इस घटना में उधम सिंह को भी गोली लगी थी। डायर के द्वारा इस हत्याकांड बदला लेने के लिए उधम सिंह लंदन चले गये। वहां जाकर उन्होंने एक यूनिवर्सिटी में दखिला लिया उसके बाद अपनी किताब के अन्दर गन के आकार में काटकर रख लिया था। 13 मार्च, 1940 का दिन आता है जब वह केक्सटन हॉल में डायर को गोली मार कर हत्या कर दी। जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने में 22 वर्षों तक इंतजार किया था। उसके बाद जून 1940 में उधम सिंह को ब्रिटिश सरकार ने फाँसी की सजा सुना दी थी। उधम सिंह के इस कार्य दुनिया भर के सभी अखबारों ने जमकर तारीफ की।
भारत सरकार द्वारा हर वर्ष जलियॉवाला बाग में हुए शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
FAQ’s
Q. जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना कब हुई थी?
Ans : 13 अप्रैल, सन् 1919 (वैशाखी)
Q. जलियांवाला बाग कहां स्थित है?
Ans : अमृतसर, स्वर्ण मंदिर के पास
Q : जलियांवाला बाग़ हत्याकांड का जिम्मेदार कौन था ?
Ans : गेडियर जनरल आर.ई.एच डायर
Q : जालियांवाला बाग़ हत्याकांड में कितने लोग मारे गए ?
Ans : करीब 1 हजार लोग (ऑफिसियल डेटा में 370 लोग)
Q : जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के समय भारत का गवर्नर कौन था ?
Ans : लार्ड चेम्स्फोर्ड
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