Economic Survey 2022: किसी भी देश की अर्थव्यवस्था जानने के लिए आर्थिक समीक्षा जारी करना जरूरी है। आर्थिक समीक्षा से ही कितना बजट जारी किया गया था और कितना खर्च किया गया है। इसमें सारा लेख-जोखा होता है। इस बार इकोनॉमी के लिए तीन चिन्ताएं सामने आयी है।
Economic Survey 2022 (आर्थिक समीक्षा-2022)
किसी भी देश की तरक्की के लिए अर्थव्यवस्था का मजबूत होना बेहद जरूरी है। कोरोना महामारी की चुनौतियों से उभरी कर रफ्तार पकड़ रही है। इकॉनोमीक ग्रोथ धीरे-धीरो अपनी पटरी पर आ रही है। आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था का तेजी से आगे बढ़ रही है।
आर्थिक सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार (Chief Economic Advisor) के समग्र मार्गदर्शन में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के इकोनॉमिक्स डिवीज़न द्वारा तैयार किया जाता है।
लेकिन इस साल सर्वेक्षण, प्रमुख आर्थिक सलाहकार (Principal Economic Advisor) और अन्य अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया है, क्योंकि पूर्व सीईए कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम का कार्यकाल दिसम्बर 2021 को समाप्त हो जाने के बाद यह पद खाली रहा था।
वर्तमान में मुख्य आर्थिक सलाहकार (Chief Economic Advisor) डॉ. वी अनंत नागेश्वरन को नियुक्त किया गया है।
आर्थिक समीक्षा की मुख्य बातें (आर्थिक समीक्षा-2022)
इस बार के सर्वे में आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ 8 से 8.5 की आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जो चालू वित्तीय वर्ष में अनुमानित 9.2 फीसदी से नीचे रहने का अनुमान है। (Economic Survey 2022)
अगले वित्तीय वर्ष में आपूर्ति पक्ष में सुधार, पूंजीगत व्यय और निर्यात की विकास में प्रमुख भूमिका होगी।
वित्तीय वर्ष 2021-2022 के लिए कृषि विकास 3.9 फीसदी और औद्योगिक विकास 11.8 फीसदी पर देखा गया।
कोविड महामारी से कृषि और संबद्ध क्षेत्र सबसे कम प्रभावित हुआ हैं। और वित्त वर्ष 2021-22 में इसके 3.9 फीसदी बढ़ने का अनुमान है जो पिछले वर्ष 3.6 फीसदी रहा है।
सेवा क्षेत्र महामारी से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, विशेष रूप से ऐसे सेगमेंट जिनमें मानव संपर्क की जरूरत है।
पिछले वर्ष के 8.4 फीसदी के संकुचन के बाद इस वित्तीय वर्ष सेवा क्षेत्र में 8.2 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।
पिछले छह वर्षों में भारत में स्टार्टअप का उल्लेखनीय विकास हुआ है-
नए मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स की संख्या 2016-17 में केवल 733 थी जो 2021-22 में बढ़कर 14000 से अधिक हो गयी है, जिसके बाद भारत, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम वाला देश बन गया है।
इसके अलावा 2021 में 44 भारतीय स्टार्टअप्स ने यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया है, जिससे भारतीय यूनिकॉर्न की कुल संख्या बढ़ाकर 83 हो गई है और इनमें से अधिकांश सेवा क्षेत्र में है।
कृषि और संबद्ध उत्पादों (समुद्री और वृक्ष उत्पादों सहित) का निर्यात अप्रैल-नवम्बर, 2021 के दौरान 2020 की अवधि की तुलना में 23.2 फीसदी बढ़कर 31.0 बिलियन डॉलर हो गयी है।
केन्द्र सरकार ने 2021-22 के दौरान व्यय नीति को बढ़ाया वल्कि पूंजीगत व्यय की ओर निर्देशित किया।
2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी प्राप्त करने के लिए, भारत को बुनियादी ढाँचे पर इन वर्षों में लगभग 1.4 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने की आवश्यकता है।
वित्त वर्ष 2008-17 के दौरान, भारत के बुनियादी ढाँचे पर लगभग 1.1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया गया है।
वित्तीय वर्ष 2020 से 2025 के दौरान, ऊर्जा (24%), सड़क (19%), शहर (16%), और रेलवे (13%) जैसे क्षेत्रों में भारत में बुनियादी ढाँचे के अनुमानित पूंजीगत व्यय का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा शामिल है।
2021-22 के बजट अनुमान में 9.6% की अनुमानित वृद्धि के मुकाबले, अप्रैल-नवम्बर 2021 के दौरान केन्द्र सरकार की राजस्व प्राप्तियों में 67.2% की वृद्धि हुई है।
वैश्विक महामारी के कारण सभी व्यवधानों के बावजूद, पिछले दो वर्षों में भारत का भूगतान संतुलन अधिशेष(निर्यात ज्यादा) में रहा है।
इतिहास
1. पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में पेश किया गया
2. 1964 तक बजट के साथ पेश किया जाता रहा किन्तु इसके बाद इसे आम बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा।
3. 2015 के बाद दो खंडों में बाँटकर पेश किया जाने लगा।
4. पहले खंड मेें अर्थव्यवस्था की स्थिति बताई जाती है।
तथा दूसरें खंड में अर्थव्यवस्था के सभी प्रमुख क्षेत्रों की विस्तृत समीक्षा की जाती है। और प्रमुख आंकड़े और डेटा शामिल किया जाता है।
चुनौतियाँ
अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त तरलता और एक रुकी हुई इन्साँल्वेंसी प्रकिया, वित्तीय प्रणाली के लिए दीर्घकालिक जोखिम ला सकती है।
लगातार मुद्रास्फीति का बढ़ना। इस बार मुद्रास्फीति 12 फीसदी के ऊपर पहुँच चुकी है।
भारत में बेरोजगारी प्रमुख चुनौतियों में एक है। कोविड महामारी के कारण बेरोजगारी का स्तर काफी बढ़ चुका है। एक समय में बेरोजगारी में 20 फीसदी की वृद्धि देखने मिली थी। लेकिन दूसरी तिमाही में कुछ सुधार देखने को मिला था लेकिन चौथी तिमाही में यह स्तर 47.4 फीसदी के पार पहुँच गया।
सीमांत किसानों की उत्पादकता में सुधार करने की आवश्यकता है।
अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों के विकास में संतुलन की चुनौती है।
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