Dol Jatra 2022 in Hindi: ढोल जात्रा या ढोल जात्रा उत्सव होली के एक दिन पहले मनाया जाता है। यह त्योहार पश्चिम बंगाल में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं लाल किनारी वाली सफेद साड़ी पहनकर हाथ में शंख लेकर राधा-कृष्ण की पूजा करती है। प्रभात-फेरी के साथ जलूस निकाला जाता है।
Dol Jatra 2022 in Hindi (दोल जात्रा)
ढोल जात्रा या ढोला यात्रा उत्सव बंगाल में होली के एक दिन पहले मनाया जाता है। इस वर्ष यानि 2022 में 17 मार्च को मनाया जायेगा। इस दिन महिलाएं लाल किनारी की सफेद साड़ी पहनकर शंख बजाते हुए राधा-कृष्ण की पूजा करती है। प्रातःकाल जलूस निकालती है। ढोल शब्द का मतलब झूला होता है। इस राधा-कृष्ण की मूर्ति झूले में रखकर भक्ति गीत गाती है। और उनकी पूजा करती है। इस दिन अबीर और रंगों के साथ होली खेली जाती है।
पुराने समय में इस दिन जमींदार के हवेलियों के दरवाजे आम लोगों के लिए खोल दिये जाता थे। उन हवेलियों में राधा-कृष्ण के मंदिर में पूजा-अर्चना और भोज चलता रहता था। किंतु समय के साथ इस परंपरा में बदलाव आया है। (Dol Jatra 2022 in Hindi)
होली के त्योहार पर शांतिनिकेतन होली का चर्चा न की जाय तो ढोल जात्रा अधूरा है। काव्यगुरू रविद्रनाथ टैगोर ने परम्परा शुरु की थी और वह आज भी वैसे ही चली आ रही है। विश्व भारती विद्यालय में आज भी लड़कियांं और लड़के उसी परम्परा को चला रहे है। इस दिन विद्यालय की लड़कियां लाल किनारी वाला पीली साड़ी और लड़के कुर्ता और धोती पहनते है। इस कार्यक्रम को देखने के लिए बंगाल से ही नहीं पूरे देश से लोग देखने के लिए आते है। इस मौके पर स्कूल के परिसर में एक जलूस निकाल कर गुलाल और रंग खेलते है। रविन्द्र नाथ की प्रतिमा के पास इस कार्यक्रम का समापन होता है।
Q. ढोल जात्रा कब मनाया जाता है?
Ans : ढोल जात्रा होली के एक दिन पहले मनाया जाता है।
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