Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022: Wishes Images, Quotes in Hindi: शिवाजी महाराज जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

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Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022: छत्रपति शिवा जी भोंसले का जन्म 19 फरवरी 1630 को एक भोंसले वंश में हुआ था। इसलिए हर वर्ष 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती मनायी जाती है। शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। और मुगल शासक औरंगज़ेब के खिलाफ खड़े हुए थे। शिवाजी महाराज के बारे में अधिक जानकारी के लिए पोस्ट को पूरा पढ़े।

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Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022 (शिवाजी महाराज जयंती)

छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म शिवनेर के दुर्ग (पूणे के निकट स्थत) में 19 फरवरी 1630 को हुआ था। शिवाजी के पूर्वज मराठा जाति के भोंसले वंश के थे। शिवाजी के पिता का नाम शाह जी भोंसल था। शाह जी भोंसले कुछ समय मुगल राजघराने में सेवा दी थी। शाहजी भोंसल की दो पत्नियाँ थी। पहली पत्नी जीजाबाई थी, शिवा जी महाराज इन्हीं के बेटे थे। शाह जी भोंसल की दूसरी पत्नी का नाम तुकाबाई मोहिते था। शाह जी इनसे बहुत प्रेम करते थे।

शिवाजी अपनी माता के साथ रहते थे इसीलिए उनके व्यक्तित्व पर उनकी माता का ही सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा। माता जी के बाद जो सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा, वे उनके राजनीतिक गुरु दादाजी कोणदेव थे। इन्हीं के द्वारा शिवाजी को शिक्षा दी गयी थी। शिवाजी के अध्यात्मिक गुरु रामदास थे, जिन्होंने दासबोध नामक प्रसिद्ध ग्रंध की रचना की थी।

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022
Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022

शिवाजी का विवाह 14 मई 1640 में साईबाई निंबालकर से कर दी। शिवाजी और साईबाई निंबालकर से एक पुत्र उत्पन्न हुआ जिसका नाम शंभा था। शिवाजी के बाद वही मराठा छत्रपति बना था।

शिवाजी ने कुल 8 विवाह किए थे। वैवाहिक राजनीति के जरिए उन्होंने सभी मराठा सरदारों को एक छत्र के नीचे लाने में सफलता प्राप्त की। शिवाजी की पत्नियाँ: सखुबाई राणूबाई (अम्बिकाबाई); सोयराबाई मोहिते – (बच्चे- दीपबै, राजाराम); पुतळाबाई पालकर (1653-1680), गुणवन्ताबाई इंगले; सगुणाबाई शिर्के, काशीबाई जाधव, लक्ष्मीबाई विचारे, सकवारबाई गायकवाड़ – (कमलाबाई) (1656-1680)।

शिवाजी का सारा जीवन संघर्षों और धर्म की रक्षा में गुजार गया। उस समय उत्तर भारत में मुगल शासक औरंगज़ेब का शासक था। उसका प्रभाव उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक था। उसी समय दक्कन में मराठा साम्राज्य का उदय हुआ। छत्रपति शिवाजी महाराज धर्म की रक्षा के साथ महिलाओं का भी सम्मान किया।

Chhatrapati Shivaji Maharaj
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शिवाजी की मुगलों के साथ पहला मुठभेड़ 1657 ई0 में हुआ था। उस समय दक्षिण का सुबेदार औरंगज़ेब था। उस समय मुगल शासक शाहजहाँ था।

शिवाजी ने अनेक लड़ाईयाँ लड़ी। शिवाजी ने पहला विजय अभियान बीजापुर के सेनापति अफज़ल खां के विरुद्ध किया गया। शिवाजी ने बीजापुर सरकार के अनेक किले और प्रदेश को छिन लिया। 6 नवम्बर 1659 को शिवाजी ने अफज़ल खां की हत्या कर दी। इसके बाद सूरत अभियान 1664 ई. किया सूरत व्यापारिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण था। यहां का मुगल गवर्नर इनायत खां था। इस अभियान से शिवाजी को लूट में इतना माल मिला कि उनकी आर्धिक स्थिति काफी अच्छी हो गयी।

Chhatrapati Shivaji Maharaj
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पुरंदर की संधि

शिवा जी के जीवन की सबसे दुखद घटना थी। पुरंदर की संधि 22 जून, 1665 को जयसिंह के साथ हुई। इसकी शर्तें इस प्रकार है-

1. शिवाजी ने 23 किले और उससे लगे हुए प्रदेश को मुगलों को दे दिया। इसकी आय 4 लाख हूण थी।

2. एक लाख हूण की आय वाले 12 किले शिवाजी को अपने पास रखने थे। शर्त यह थी कि वह शाही तख्त का सेवक और राजभक्त बना रहेगा।

3. शिवाजी ने भविष्य में मुगल सम्राट की सेवा करने का आश्वासन दिया। किन्तु अपने बेटे शंभा जी को 5000 घुडसवारों के एक दल के साथ सम्राट की सेवा में भेजने की बात कही। इसके एवज में शिवाजी को उचित जागीर प्रदान करने का वचन दिया।

4. इसके अतिरिक्त एक गुप्त संधि भी की गई। जिसके अनुसार शिवाजी ने बीजापुर पर आक्रमण के समय मुगलों को अपने सहयोग देने का वचन दिया और सम्राट से यह आश्वासन चाहा कि बीजापुर का विघटन होने पर रियासत के कोंकण व बालाघाट प्रदेश उसे मिल जायेगा। इसके बदले में सम्राट को 40 लाख हूण 13 वार्षिक किश्तों में चुकाने को तैयार हो गये।

शिवाजी का आगरा की ओर कूच

यह कूच किसी युद्ध के लिए नहीं थी। मार्च, 1666 ई. में शिवाजी अपने बड़े पुत्र शंभाजी, प्रधान सरदारों तथा लगभग 4000 अंग रक्षक सैनिकों के साथ आगरा की ओर कूच किया। 9 मई, 1666 को औरंगज़ेब से मुलाकात की। परन्तु औरंगज़ेब ने काफी अपमानजनक व्यवहार किया। क्योंकि उनके स्वागत में दरबार के बाहर नहीं किया गया। दूसरी ओर उनको पांच हज़ारी मनसब के साथ तीसरी पंक्ति में खड़ा कर दिया।

औरंगज़ेब और शिवाजी के बीच संधि कराने तथा शिवाजी को सम्मान देना का जिम्मा जयसिंह तथा उसके बड़े पुत्र रामसिंह था। परन्तु शिवाजी की खिल्लत से सम्मानित किया। अपमानित शिवाजी ने क्रुद्ध होकर औरंगज़ेब को विश्वासघाती कहा और मुगल दरबार को छोड़कर चले गये। औरंगज़ेब शिवाजी की हत्या कराना चाहता था किन्तु जयसिंह और उनके पुत्र रामसिंह ने उन्हें नजर बन्द कर लिया और कुछ दिनों बाद वहां से अपने पुत्र के साथ शिवाजी भागने में सफल हुए। यह शिवाजी की सबसे बड़ी गलती थी।

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शिवाजी की मृत्यु और उत्तराधिकार

छत्रपति महाराज शिवाजी को भोजन में विष दिलाने का बाद 3 अप्रैल, 1680 में मृत्यु हो गयी। अंतिम दिन शिवाजी काफी दुःख में बीता है। शिवाजी की मृत्यु के बाद मराठा ने शंभा जी को अपना छत्रपति चुन लिया। उस समय राजाराम 10 वर्ष का था। क्योंकि शिवाजी की दूसरी पत्नी सोयराबाई अपने पुत्र राजाराम को उत्तराधिकारी बनाना चाहती थी। क्योंकि उस समय शंभा जी काफी दुराचारी हो गया था। लेकिन शिवाजी का बड़ा पुत्र होने के कारण उसी को उत्तराधिकारी चुना गया।

FAQ’s

Q. शिवाजी महाराज जयंती कब मनायी जाती है?

Ans : शिवाजी महाराज जयंती 19 फरवरी को मनायी जाती है।

Q. पुरंदर की संधि कब हुई थी?

Ans : पुरंदर की संधि 22 जून, 1665 को जयसिंह के साथ हुई।

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