महात्मा गांधी का जीवन परिचय, महात्मा गांधी जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रमुख नेता थे। उन्हें “राष्ट्रपिता” के रूप में भी जाना जाता है। गांधीजी का जीवन, उनके विचार और उनके कार्य आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।
1. महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे और माता पुतलीबाई अत्यंत धार्मिक महिला थीं। गांधीजी के प्रारंभिक जीवन में उनकी माता के धार्मिक विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा। वे बचपन से ही सत्य और अहिंसा के प्रति आस्थावान थे। महात्मा गाँधी जयंती 2 अक्टूबर को मनाई जाती है।
2. शिक्षा और लंदन यात्रा
गांधीजी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में प्राप्त की। बाद में वे वकालत की पढ़ाई के लिए 1888 में लंदन गए। वहाँ से उन्होंने 1891 में बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की और भारत लौट आए। वकालत की प्रारंभिक कठिनाइयों के बावजूद, गांधीजी ने अपने संघर्ष और धैर्य से नए अवसर खोजे।
महात्मा गांधी का जीवन परिचय
घटना | तिथि | विवरण |
जन्म | 2 अक्टूबर 1869 | पोरबंदर, गुजरात में जन्म |
शिक्षा | 1888 | इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई |
दक्षिण अफ्रीका | 1893 | भेदभाव के खिलाफ पहले संघर्ष की शुरुआत |
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होना | 1915 | स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका |
असहमति आंदोलन | 1919 | जलियांवाला बाग हत्याकांड के खिलाफ प्रदर्शन |
नमक सत्याग्रह | 1930 | दांडी मार्च और नमक कानून का विरोध |
स्वतंत्रता प्राप्ति | 15 अगस्त 1947 | भारत को स्वतंत्रता मिली |
हत्या | 30 जनवरी 1948 | नाथूराम गोडसे द्वारा हत्या |
3. दक्षिण अफ्रीका का संघर्ष
1893 में, गांधीजी को दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लिए कानूनी सहायता देने का अवसर मिला। यहाँ उन्होंने रंगभेद और अन्याय का प्रत्यक्ष अनुभव किया। दक्षिण अफ्रीका में उनके संघर्ष ने उन्हें “सत्याग्रह” नामक अहिंसात्मक प्रतिरोध की नीति का विकास करने के लिए प्रेरित किया। यह संघर्ष उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
4. सत्याग्रह की शुरुआत
दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह का पहला प्रयोग गांधीजी ने 1906 में किया। सत्याग्रह का अर्थ है “सत्य की शक्ति,” जिसमें अहिंसा और सच्चाई के मार्ग पर चलते हुए अन्याय का विरोध किया जाता है। गांधीजी ने इस सिद्धांत का सफल प्रयोग करके दिखाया कि अत्याचार के खिलाफ बिना हिंसा के भी संघर्ष किया जा सकता है।
5. भारत वापसी और स्वतंत्रता संग्राम में प्रवेश
1915 में गांधीजी भारत लौटे और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। उन्होंने भारतीय समाज की गहरी समस्याओं को समझा और देश की स्वतंत्रता के लिए एक नई रणनीति बनाई। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ मिलकर गांधीजी ने देशव्यापी आंदोलन शुरू किया।
6. असहयोग आंदोलन
1920 में गांधीजी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ असहयोग और उनके द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन न करना था। लाखों भारतीयों ने इस आंदोलन का समर्थन किया और ब्रिटिश सरकार को काफी हद तक परेशान किया।
7. Mahatma Gandhi दांडी मार्च और नमक सत्याग्रह
1930 में, गांधीजी ने नमक कर के खिलाफ दांडी मार्च का नेतृत्व किया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के अन्यायपूर्ण करों के खिलाफ था, जिसमें गांधीजी ने हजारों लोगों के साथ दांडी तक 240 मील की यात्रा की। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मील का पत्थर साबित हुई।
8. भारत छोड़ो आंदोलन
1942 में गांधीजी ने “भारत छोड़ो आंदोलन” का आह्वान किया। इस आंदोलन का नारा था “अंग्रेजों भारत छोड़ो” और इसका उद्देश्य भारत को स्वतंत्रता दिलाना था। गांधीजी के इस आह्वान के बाद लाखों भारतीयों ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष तेज कर दिया।
9. गांधी और अहिंसा का सिद्धांत
महात्मा गांधी का सबसे बड़ा योगदान अहिंसा के सिद्धांत में निहित है। उनका मानना था कि किसी भी अन्याय और अत्याचार का मुकाबला बिना हिंसा के किया जा सकता है। उनके लिए सत्य और अहिंसा जीवन के सर्वोच्च आदर्श थे, जिनके बिना किसी भी समाज में सच्चा परिवर्तन संभव नहीं हो सकता।
10. महात्मा गांधी के प्रमुख योगदान
- दक्षिण अफ्रीका में भेदभाव के खिलाफ संघर्ष (1893-1914)
गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। यहाँ उन्होंने ‘सत्याग्रह’ का सिद्धांत विकसित किया, जिसका अर्थ है “सत्य के प्रति दृढ़ता”। - असहमति आंदोलन ( 1920 )
जलियांवाला बाग हत्याकांड ने गांधीजी को गहरी ठेस पहुँचाई। उन्होंने असहमति आंदोलन शुरू किया, जिसमें उन्होंने अंग्रेज़ों के खिलाफ बड़े पैमाने पर जन जागरूकता पैदा की। - नमक सत्याग्रह (1930)
दांडी मार्च के दौरान, गांधीजी ने नमक कानून का उल्लंघन किया। यह आंदोलन स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। - विभाजन के खिलाफ संघर्ष (1947)
जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तब देश का विभाजन भी हुआ। गांधीजी ने शांति बनाए रखने का प्रयास किया और communal harmony के लिए काम किया।
महात्मा गांधी के प्रमुख संघर्ष
गांधीजी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए:
- सत्याग्रह और असहयोग आंदोलनों का नेतृत्व किया।
- सामाजिक सुधार के लिए जाति व्यवस्था और छुआछूत का विरोध किया।
- भारतीय समाज को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी आंदोलन चलाया।
11. धर्म और सामाजिक सुधार
महात्मा गांधी केवल स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक सुधारक भी थे। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया, जातिवाद का विरोध किया और महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए कई प्रयास किए। उनके अनुसार धर्म का उद्देश्य मानवता की सेवा करना था।
12. Who Killed Mahatma Gandhi ? Why Godse Killed Mahatma Gandhi ? महात्मा गाँधी को किसने मारा और क्यों मारा ?
नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को की थी। गोडसे का मानना था कि महात्मा गांधी की नीतियां और विचार हिंदुओं के खिलाफ थीं और वे मुसलमानों के प्रति अत्यधिक सहानुभूति रखते थे। गोडसे और उनके समर्थकों का यह आरोप था कि गांधीजी ने भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने के समर्थन में उपवास किया और वे मुस्लिम समुदाय को खुश करने की कोशिश कर रहे थे। इसके चलते गोडसे को यह लगा कि गांधीजी के कार्य देश और हिंदू समुदाय के हित में नहीं हैं।
गोडसे गांधीजी की अहिंसा और हिंदू-मुस्लिम एकता की नीतियों से असहमत थे। उसे यह विश्वास था कि गांधीजी की नीतियों के कारण भारत कमजोर हो रहा है और इससे हिंदू राष्ट्रवाद को नुकसान हो रहा है। इसके अलावा, विभाजन के दौरान हुए दंगों और हिंसा से गोडसे बहुत आहत थे, और उसने गांधीजी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।
इन्हीं कारणों से, गोडसे ने महात्मा गांधी को गोली मार दी। हालाँकि, उनकी हत्या ने पूरे देश में शोक और आक्रोश की लहर पैदा की, और गांधीजी की मृत्यु के बाद भी उनके सिद्धांत और विचार आज भी प्रेरणादायक बने हुए हैं।
Who Gave Mahatma Title To Gandhi महात्मा गांधी को “महात्मा” की उपाधि किसने दी ?
महात्मा गांधी को “महात्मा” का उपाधि रवींद्रनाथ टैगोर ने दी थी। टैगोर, जो स्वयं एक महान कवि, लेखक और दार्शनिक थे, गांधीजी के प्रति अत्यधिक सम्मान रखते थे। गांधीजी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों से प्रभावित होकर, टैगोर ने उन्हें “महात्मा” यानी “महान आत्मा” की उपाधि दी।
गांधीजी का जीवन और उनके विचार इतने उच्च और प्रेरणादायक थे कि इस उपाधि ने उन्हें वैश्विक स्तर पर एक नैतिक और आध्यात्मिक नेता के रूप में पहचान दिलाई।
13. गांधीजी का प्रभाव और विरासत
गांधीजी की विरासत आज भी जीवित है। उनके विचार और सिद्धांत आज भी दुनिया के कई हिस्सों में प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने भारत को केवल राजनीतिक स्वतंत्रता ही नहीं दिलाई, बल्कि समाज में नैतिक मूल्यों की पुनः स्थापना भी की।
14. महात्मा गांधी के अनमोल विचार (महात्मा गांधी का जीवन परिचय)
- “तुम वह बदलाव बनो जो तुम दुनिया में देखना चाहते हो।”
- “अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है।”
- “पाप से घृणा करो, पापी से नहीं।”
- “जहां प्रेम है, वहां जीवन है।”
- “स्वयं को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है, स्वयं को दूसरों की सेवा में खो देना।”
- “सत्य एक है, मार्ग कई हैं।”
- “कमज़ोर कभी माफ़ी नहीं मांग सकते। माफ़ करना तो ताकतवर लोगों की निशानी है।”
- “व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित होता है। जैसा वह सोचता है, वैसा वह बन जाता है।”
- “पृथ्वी सभी की जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन देती है, लेकिन लालच के लिए नहीं।”
- “किसी देश की महानता और नैतिक प्रगति का मापदंड इस बात से होता है कि वहां जानवरों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है।”
- “स्वतंत्रता का कोई मूल्य नहीं है यदि इसमें गलती करने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है।”
- “मुझे ऐसा कोई धर्म नहीं दिखता जो सच्चाई और अहिंसा से बढ़कर हो।”
- “आपकी मान्यताएं आपके विचार बनती हैं, आपके विचार आपके शब्द बनते हैं, आपके शब्द आपके कार्य बनते हैं, आपके कार्य आपकी आदतें बनती हैं, आपकी आदतें आपके मूल्य बनती हैं, और आपके मूल्य आपकी नियति बन जाते हैं।”
- “एक आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी।”
- “अगर धैर्य की कोई कीमत है, तो यह क्रोध की अनुपस्थिति में होनी चाहिए।”
- “प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है, और फिर भी यह सबसे विनम्र है।”
- “सत्य कभी क्षति नहीं उठाता, बल्कि उसे अपनाने वाला उसे सहन कर लेता है।”
- “आप तब तक सही काम करने से पीछे न हटें, जब तक कि वह पूरा न हो जाए।”
- “जब भी आप खुद को दूसरों की सेवा में समर्पित करेंगे, तो आप अपने जीवन का असली उद्देश्य पाएंगे।”
- “जीवन की गति बढ़ाने में कोई अच्छाई नहीं है, जब तक कि जीवन सही दिशा में न बढ़े।”
15. निष्कर्ष
महात्मा गांधी का जीवन परिचय प्रेरणा और संघर्ष का प्रतीक है। उन्होंने हमें सिखाया कि सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं। उनका जीवन संदेश है कि विश्व में शांति और न्याय के लिए हर व्यक्ति को सत्य और अहिंसा का पालन करना चाहिए।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
- महात्मा गांधी का पूरा नाम क्या था?
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। - महात्मा गांधी का जन्म कब और कहां हुआ था?
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। - गांधीजी ने सत्याग्रह का प्रयोग पहली बार कहां किया?
गांधीजी ने सत्याग्रह का प्रयोग पहली बार दक्षिण अफ्रीका में 1906 में किया। - भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरू हुआ?
भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरू हुआ। - गांधीजी के प्रमुख सिद्धांत क्या थे?
गांधीजी के प्रमुख सिद्धांत सत्य और अहिंसा थे। - गांधीजी की हत्या कब हुई?
महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को हुई थी।