83 Movie Review in Hindi: 1983 विश्व कप पर फ़िलमायी गयी फिल्म रणवीर सिंह की मोस्ट अवेटेडे फिल्म 83 सिनेमा घरों में आज रिलीज हो गयी है। 25 जून 1983 को भारतीय क्रिकेट टीम ने लंदन के लॉर्ड्स स्टेडियम में जो इतिहास रचा, यह दिन सभी भारतीयों के लिए गर्व का दिन था। “भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड” (BCCI) के दफ्तर में भारतीय क्रिकेट टीम के मैनेजर पीआर मानसिंह खिलाड़ियों के बैग लेने पहुंचते हैं। यह से फिल्म की शुरुआत की गयी है।
फिल्म निर्देशक कबीर सिंह द्वारा बनाई गई फिल्म ‘83’ इसी तंज और जीत कर आने की जिद की कहानी को अपने अंदर लिए हुए है जो पर्दे पर दिख रही है।
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83 Movie Review in Hindi
83 Movie Review in Hindi: 1983 का वर्ल्ड कप सभी को याद है। जो तब थे उन्हें भी, जो नहीं थे उन्हें भी। क्योंकि आजादी के बाद भारत को खेल मैदान में जो ऊँचाई मिली वह 1983 वर्ल्ड कप जीतने का बाद मिली। इस दशक तक आते-आते हॉकी का बोल बाला खत्म हो चुका था। जहाँ भारत ने अब तक 8 स्वर्ण पदक ओलंपिक में अपने नाम कर चुका था। लेकिन इस दशक के आते-आते हॉकी के मैदानों में बदलाव आ चुके थे। इस बदलाव के साथ भारतीय हॉकी टीम अपने आप को नहीं बदल सकी। (1983 World cup)
38 वर्ष पहले जो हो चुका था। उसके ऊपर न जाने कितने हजारों शब्द लिखे जा चुके थे। फिल्म निर्देशक कबीर खान ने इसे एक फिल्म में समेटने की कोशिश की है।
डायरेक्टर और लेखक के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह थी इतनी बड़ी चीज को दो-ढाई घंटे की फिल्म में उतारा कैसे जाये। क्योंकि हर मिनट में एक अलग घटना को प्रस्तुत करना था। टीम इंडिया के सिलेक्शन से लेकर वर्ल्ड कप जीतने तक की सभी घटना को दो-ढाई घंटे की फिल्म में उतारना था। इसमें टीम इंडिया के कप्तान कपिल देव से लेकर कोच पीआर मानसिंह के पास एक अलग ही अनुभव था।
रणवीर सिंह की इस फिल्म में कपिल देव के किरदार में नजर आ रहे है। फिल्म निर्देशक कबीर सिंह ने मुम्बई एयर पोर्ट रवानगी से लेकर वर्ल्ड कप की ट्रॉफी उठाने तक की घटना को एक डॉक्यूमेंट्री बनाने की कोशिश की है। जिसमें उन्होंने कलाकारों के फिट किया। हालांकि इसे पर्दे पर उतारना इतना आसान नहीं था। क्योंकि नई पीढ़ी के आगे 38 साल पुरानी यादें ताजा करनी थी। फिल्म थियेटर को स्टेडियम में बदलना था।
अगर हम कलाकारों की बात करने तो कपिल देव के किरदार में रणवीर सिंह ने जान फूंक दी। यह किरदार इतना आसान नहीं था। कपिल देव मैदान के हीरों थे तो वहीं रणवीर सिंह सिनेमा के हीरों है। कपिल देव के बात करने का एक्शन देखा होगा तो एक बार रणवीर सिंह की तारीफ जरूर करोगे। बॉलिंग एक्शन, क्रिकेट शॉट की तुलना हो सकती है, लेकिन सबसे बेस्ट आपका तब सामने आता है जब आप सबसे बारीक से बारीक चीज़ को पकड़ पाएं। गर्दन का झुकाना, शर्माते हुए बोल जाना, अंग्रेज़ी को लेकर दिक्कत और उसमें आने वाले पंच, रणवीर सिंह ने कपिल देव के किरदार को सबसे बेहतरीन तरीके से संभाला है।
कबीर सिंह ने किसी भी खिलाड़ी के निजी जिंदगी में जाने की कोशिश नहीं की है। असीम मिश्रा की सिनेमैटोग्राफी सिनेमाहॉल में बैठे हुए स्टेडियम का एहसास कराती है। दर्शक क्रिटक्स सभी का एक सुर में मानना है कि फिल्म देर से रिलीज हुई, लेकिन दुरुस्त है। फिल्म इमोशन, जोश और जज्बे से भरी हुई है।
इस फिल्म में कपिल देव की पत्नी की भूमिका दीपिका पादुकोण ने किया है। जो असल में रणवीर सिंह की पत्नी है। दीपिका पादुकोण का किरदार फिल्म में छोटा है लेकिन जितना भी है वो पूरा फिल्मी ही है. यानी उसे सिर्फ शामिल किया गया है, ताकि फिल्म में हीरोइन की रस्म अदाएगी कर दी जाए और कपिल देव की रियल लाइफ फैमिली की वैल्यू को वर्ल्डकप से जोड़ा जाए।
FAQ’s
Q. भारत ने पहला क्रिकेट वर्ल्ड कप कब जीता था?
Ans : भारत ने पहला क्रिकेट वर्ल्ड कप 1983 में जीता था।
Q. 1983 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का कप्तान कौन था?
Ans : 1983 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के कप्तान कपिल देव थे।
Q. 1983 क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारत ने किसको हरा कर वर्ल्ड कप जीता था?
Ans : वेस्टइंडीज़ को हरा कर वर्ल्ड कप जीता था।
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