National Science Day 2022: प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारत के महान वैज्ञानिक सी. वी. रामन ने रामन प्रभाव (Raman Effect) की खोज की थी। इसी कामयाबी की याद में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।
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National Science Day 2022 (नेशनल साइंस डे)
सर सी. वी. रामन भारत के महान भौतिक वैज्ञानिक थे। उन्होंने 28 फरवरी 1928 को प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering of Light) की खोज की थी। इस आविष्कार के लिए उन्हें भौतिकी क्षेत्र में 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया। उनका यह आविष्कार उनके नाम पर रामन प्रभाव (Raman Effect) के नाम से जाना जाता है। 1954 में भारत सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। 1957 में सोवियत संघ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय लेनिन शांति पुरस्कार दिया गया।
चन्द्रशेखर वेंकटरामन का संक्षिप्त जीवन परिचय (Brief Biography of Chandrasekhar Venkataraman)
नाम | चन्द्रशेखर वेंकटरामन |
जन्म | 7 नवम्बर, 1888 ई. |
जन्म स्थान | तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु) |
पिता | श्री चन्द्रशेखर अय्यर |
माता | पार्वती अम्मल |
शिक्षा | प्रेसीडेंसी कालिज (बी. ए.) |
आविष्कार | प्रकाश का प्रकीर्णन (28 फरवरी 1928) |
पुरस्कार | नोबल पुरस्कार (1930), भौतिकी क्षेत्र |
अन्य पुरस्कार | भारत रत्न(1954), लेनिन शांति (1957),नाइट बैचेलर (1929) |
सर सी. वी. रामन का पूरा नाम चन्द्रशेखर वेंकटरामन है। इनका जन्म 7 नवम्बर, 1888 ई. को तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु) में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री चन्द्रशेखर अय्यर जो एस. पी. जी. कॉलेज में भौतिकी के प्राध्यापक थे। इनके माता का नाम पार्वती अम्मल जो एक सुशील और सुसंस्कृत परिवार की महिला थीं।
शिक्षा (Education)
सी. वी. रामन ने 12 वर्ष की उम्र में मैट्रिक परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास किया था। तभी आपकी मुलाकात श्रीमती एनी बेसेंट से हुई और उनका भाषण सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपने रामायण और महाभारत का गहन अध्ययन किया। पिता आपको विदेश पढ़ाई के लिए भेजना चाहते थे किन्तु एक अँग्रेज़ डॉक्टर ने स्वास्थ्य न ठीक होने पर विदेश न जाने की सलाह दी।
जिसके फलस्वरूप स्वदेश में रहकर अपनी शिक्षा शुरु की। आपने सन् 1903 ई. में चेन्नै के प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश ले लिया। कॉलेज के अध्यापक आपकी योग्यता से काफी प्रभावित हुए जिससे आपको सभी कक्षाओं में जाने की अनुमति मिल गयी। पूरे विद्यालय में बीए की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। एम. ए. की शिक्षा के लिए आपने १९०७ में मद्रास विश्वविद्यालय से गणित में प्रथम श्रेणी में उत्तीण हुए।
विवाह
सी. वी. रामन का विवाह 1907 में ‘लोक सुंदरी अम्मल‘ से हुआ था। उनके दो संतानें थी जिसमें एक बेटे का नाम चंद्रशेखर और दूसरे बेटे का नाम राधाकृष्णन था। राधाकृष्णन बाद में एक खगोल शास्त्री बनें।
आविष्कार (Invention)
सी. वी. रामन 1921 में लंदन से भारत वापस लौट रहे थे। यात्रा के 15वें दिन शाम भूमध्यसागर से गुजर रहे थे। तब उनका ध्यान गहरे नीले पानी में गया। यह दृश्य देखकर काफी प्रभावित हुए। घर वापस लौटने के बाद जून, 1907 में आप असिस्टेंट एकाउटेंट जनरल बनकर कलकत्ते चले गए। वहां पर अच्छा वेतन और रिटायरमेंट के बाद अच्छी पेंशन की सुविधा थी। मानों आप का जीवन यही सिमिट गया। पर आप एक दिन कार्यालय से घर लौट रहे थे तभी आप का ध्यान एक साइन बोर्ड पर गया जिस पर लिखा था कि ‘वैज्ञानिक अध्ययन के लिए भारतीय परिषद (इंडियन अशोसिएशन फार कल्टीवेशन आफ़ साईंस)’।
तभी अपनी ट्राम से उतरकर कार्यालय गये और वहां पहुंचने पर अपना परिचय दिया और प्रयोगशाला में प्रयोग करने की आज्ञा प्राप्त कर ली। आपने एक स्पेक्ट्रोस्कोप में पारा चाप प्रकाश का स्पेक्ट्रम बनाया है। इन दोनों के बीच अलग-अलग तरह के रासायनिक पदार्थ डालें और इनके बीच से पारा चाप का प्रकाश प्रवाहित कर स्पेक्ट्रम बनाएं। आपने देखा है कि प्रत्येक वर्णक्रम में अंतर होता है।
प्रत्येक पदार्थ अपना अंतर बनाता है। सबसे अच्छी वर्णक्रमीय छवियों को तब सिद्धांत में बनाया, मापा और गणितीय रूप से समझाया गया था। यह सिद्ध हो गया कि यह अंतर पारा प्रकाश की तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन के कारण है। रमन प्रभाव का उद्घाटन किया गया। आपने इस खोज की घोषणा 28 फरवरी 1928 ई. में की।
FAQ’s
Q. Raashtreey Vigyaan Divas 2022 kab hai?
Ans : 28 फरवरी
Q. सी. वी. रामन का पूरा नाम क्या है?
Ans : चन्द्रशेखर वेंकटरामन
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