National Panchayati raj day in Hindi: राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस हर वर्ष 24 अप्रैल को मनाय जाता है। इस वर्ष 24 अप्रैल 2022 को 13वां राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जायेगा। पंचायती राज के अन्तर्गत गाँव की ग्राम पंचायत, ब्लॉक स्तर पर ब्लॉक परिषद, जिला स्तर पर जिला परिषद् आता है। इनके सदस्यों का चुनाव जमीनी स्तर पर जनता के द्वारा किया जाता है, और स्थानीय शासन की बगडोर संभालते है।
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National Panchayati raj day in Hindi (राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस)
पहला पंचायती राज दिवस वर्ष 2010 में मनाया गया था। तब से भारत में हर वर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर केन्द्रीय पंचायत राज देश भर में मंत्रालय द्वारा सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन करने वाली पंचायत/ब्लॉक परिषद्/जिला परिषद् को पुरस्कृत किया जाता है।
पंचायती राज की भूमिका
गाँधी जी कहते थे कि भारत की आत्म गाँवों में बसती है। इस लिए देश का विकास गाँवों से शुरु हो। गाँधी जी ने कहा था कि अगर गाँव पर खतरा पैदा होता है तो पूरे भारत में खतरा पैदा हो सकता है। उन्होंने ने मजबूद और सशक्त भारत का सपना देखा था। जिसे पूरा होने में 44 वर्ष लग गये थे। भारत में पंचायती राज व्यवस्था 1992 में 73वें संविधान संशोधन के तहत लाया गया था।
73वां संविधान संशोधन (73rd Constitutional Amendment)
पंचायती राज व्यवस्था भारतीय संविधान एक नीति निदेशक तत्व (DPSP) भाग-4 के अनुच्छेद-40 में उल्लेख किया गया है। अनुच्छेद 246 में राज्य विधानमंडल को स्थानीय स्वशासन से संबंधित किसी भी विषय के संबंध में कानून बनाने का अधिकार दिया।
बलवंत राय मेहता की सिफ़ारिश पर 73वां संविधान संशोधन अधिनियम 1992 में पारित किया गया। जिसके अन्तर्गत राज्य स्तर पर त्रिस्तरीय सरकार का गठन किया गया।
- संविधान में 9वीं अनुसूची को जोड़ा गया।
1992 में पंचायती राज संस्थान की संवैधानिक स्थापना की और ग्रामीण विकास का जिम्मा सौपा गया।
पंचायती राज संस्थान भारत में ग्रामीण स्थानीय स्वशासन (Rural Local Self-government) की एक प्रणाली है।
लोकतांत्रिक प्रणाली की बुनियादी इकाइयों के रूप में ग्राम सभाओं (ग्राम) को रखा गया जिसमें मतदाता के रूप में पंजीकृत सभी वयस्क सदस्य शामिल होते हैं।
- उन राज्यों को छोड़कर जिनकी जनसंख्या 20 लाख से कम हो ग्राम, मध्यवर्ती (प्रखंड/तालुका/मंडल) और ज़िला स्तरों पर पंचायतों की त्रि-स्तरीय प्रणाली लागू की गई है (अनुच्छेद 243B)।
- सभी स्तरों पर सीटों को प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरा जाना है [अनुच्छेद 243C(2)]।
सीटों का आरक्षण:
- अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिये सीटों का आरक्षण किया गया है तथा सभी स्तरों पर पंचायतों के अध्यक्ष के पद भी जनसंख्या में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अनुपात के आधार पर आरक्षित किये गए हैं।
- उपलब्ध सीटों की कुल संख्या में से एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिये आरक्षित हैं।
- सभी स्तरों पर अध्यक्षों के एक तिहाई पद भी महिलाओं के लिये आरक्षित हैं (अनुच्छेद 243D)।
- ग्राम पंचायत और नगर पलिका के लिए वित्तीय प्रावधान अनुच्छेद-243(I) में रखा गया।
कार्यकालः-
इनका कार्यकाल 5 वर्ष का होगा। लेकिन इस पहले भी भंग किया जा सकता है।
पंचायतों के नए चुनाव कार्यकाल की अवधि की समाप्ति या पंचायत भंग होने की तिथि से 6 महीने के भीतर ही करा लिये जाने चाहिये (अनुच्छेद 243E)।
यदि किसी पंचायत का कार्यकाल पूरा होने के 6 माह के अधिक का समय है और पंचायत भंग होती है तो बचे हुए पंचवर्षिय के लिए नई सरकार बनायी जायेगी। यदि कार्यकाल पांच वर्ष पूरा होने में मात्र 6 माह बाकी है तो नया चुनाव होगा उसके बाद पांच वर्ष के लिए नयी सरकार बनायी जायेगी।
Note:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल 2015 को निर्वाचित प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए, “सरपंच पति” की प्रथा को समाप्त करने का आह्वान किया, ताकि वे सत्ता में चुने जाने वाले उनके कामों पर अनुचित प्रभाव डाल सकें।
FAQ’s
Q. राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस कब मनाया जाता है?
Ans: 24 अप्रैल
Q. राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाने की शुरुआत कब हुई?
Ans: 24 अप्रैल, 1993 से
Q. पंचायती राज व्यवस्था किसकी सिफ़ारिश पर लागू हुआ?
Ans: बलवंत राय मेहता की सिफ़ारिश पर
Q. राष्ट्रीय पंचायती राज व्यवस्था किस अनुसूंची है?
Ans: 9वीं अनुसूंची में
Q. राष्ट्रीय पंचायती राज व्यवस्था किस भाग में है?
Ans: भाग-9
Q. राष्ट्रीय पंचायती राज व्यवस्था का उल्लेख किस अनुच्छेद में किया गया है?
Ans: अनुच्छेद-243A-243O
Q. पंचायती राज के जनक कौन है?
Ans: बलवंत राय मेहता
Q. अशोक मेहता समिति कितने स्तरीय थी?
Ans: दो स्तरीय समिति थी। अशोक मेहता समिति (साल 1977) की सिफ़ारिश दो स्तरीय सरकार बनाने की सिफ़ारिश थी। जिस बाद में रद्द कर दिया गया।
Q. बलवंत राय मेहता समिति का गठन कब हुआ?
Ans: बलवंत राय मेहता समिति को भारत सरकार द्वारा 16 जनवरी 1957 को सामुदायिक विकास कार्यक्रम के कामकाज की जांच के लिए नियुक्त किया गया था।
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