Economic Survey 2020-21। आर्थिक समीक्षा :-किसी भी देश के विकास और तरक्की के लिए अर्थव्यवस्था का मजबूत होना बेहद जरूरी होता है। लेकिन अर्थव्यवस्था की दिशा और दशा क्या है? इसे जानने के लिए आर्थिक समीक्षा बेहद जरूरी है। विकास दर किस रफ्तार से चल रही है।
इसे जानने और समझने के लिहाज से आर्थिक समीक्षा (Economic survey) जरूरी होती है। आर्थिक समीक्षा की जरिये सरकार देश की अर्थव्यवस्था अगल-अलग क्षेत्र की जानकारी लोगों तक पहुंचाती हैं।
आर्थिक समीक्षा न केवल नीतियो, साल का लेख-जोखा होता है बल्कि साल में देश की अर्थव्यवस्था कैसी होनी चाहिए इसकी भी तस्वीर भी पेश की जाती है। साथ ही इसमें अगल-अगल आर्थिक क्षेत्रों को पेश किया जाता है।
आर्थिक समीक्षा वित्त मंत्रालय का महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है। जिसमें अर्थव्यवस्था के बुनियादी कागजों के साथ ही मानवीय सामाजिक पहलू की भी विशलेषण किया जाता है।
हर साल आम बजट पेश होने से पहले पेश होने वाला दस्तावेज आम तौर पर केन्द्रीय बजट के लिए नीतिकोण दृष्टि प्रदान करता है।
आर्थिक समीक्षा का विशेष
Economic Survey 2020-21 । आर्थिक समीक्षा 2020-21ः- बीते एक साल में देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति क्या रही है? और आर्थिक मोर्चे पर देश ने कितनी तरक्की की इससे जुड़ी रिपोर्ट आर्थिक समीक्षा के रूप में पेश की जाती है। आर्थिक समीक्षा में पिछले एक साल में अर्थव्यवस्था की एक विस्तृत रिपोर्ट शामिल होती है।
जिसमें प्रमुख चुनौतियां और उनसे निपटने का जिक्र होता है। इसमें इस बात का जिक्र भी होता है कि साल भार में देश की हालत कैसी रही? और अर्थव्यवस्था की रफ्तार क्या रही?
कौन पेश करता है?
- आर्थिक समीक्षा वित्त मंत्रालय द्वारा पेश किया जाता है।
- मुख्य आर्थिक सलाहकार और उनकी टीम द्वारा तैयार किया है।
- वित्त मंत्रालय का काफी अहम दस्तावेज होता है।
- वित्त मंत्री की अनुमति के बाद संसद में पेश किया जाता है.
- अर्थव्यवस्था के सभी पहलुओं को सांख्यिकीय आंकड़ों को जरिए बताना है। ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था की पूरी जानकारी सामने आये।
- नीतिगत विचार, आर्थिक मापदंडों पर प्रमुख आंकड़े प्रस्तुत करता है।
- क्षेत्रवार आर्थिक रुझानों का गहन विश्लेषण करता है।
इतिहास
- पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में पेश किया गया
- 1964 तक बजट के साथ पेश किया जाता रहा किन्तु इसके बाद इसे आम बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा।
- 2015 के बाद दो खंडों में बाँटकर पेश किया जाने लगा।
- पहले खंड मेें अर्थव्यवस्था की स्थिति बताई जाती है।
- तथा दूसरें खंड में अर्थव्यवस्था के सभी प्रमुख क्षेत्रों की विस्तृत समीक्षा की जाती है। और प्रमुख आंकड़े और डेटा शामिल किया जाता है।
अन्य बातें
Economic Survey । आर्थिक समीक्षा 2020-21ः- आर्थिक समीक्षा में देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सामाजिक पहलुओ पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।
इसमें जनसाख्यिकी स्वास्थ्य सर्वेक्षण और नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के साथ ही मानव विकास, शिक्षा ,ऊर्जा और कौशल विकास पर भी ध्यान दिया जाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण भविष्य में बनाये जाने वाली नीतियों एक आधार का काम करता है। इसमें लगया गये अनुमानों और सुझावों को मानने के लिए बाध्य नहीं होता है।
इससे यह पता चलता है कि अगल-अगल क्षेत्रों में क्या-क्या काम करना है। और किस क्षेत्र में कितना काम करने की आवश्यकता है। हलाकि आर्थिक सर्वेक्षण में शिफारिस की जा सकती है। इस पर कोई कानूनी बाध्यता नहीं होती है।
Economic Survey । आर्थिक समीक्षा 2020-21ः- इसी से तय होता है कि देश की अर्थव्यवस्था कहा जाने वाली है। उसे कहां से पैसे जुटाना है। और कहां पर खर्च करना है। यह सब आर्थिक समीक्षा में बताया जाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण में पिछले वर्ष दी गयी धन राशि का भी लेखा-जोखा देना होता है। जो पिछले वर्ष धनराशि उससे कितना काम हुआ है और कितने पैसे की अतिरिक्त जरूरत पड़ी।
आर्थिक समीक्षा देश की जीडीपी के बारे में भी सही जानकारी देती है। जिसे देश की जनता के सामने रखा जाता है।
देश की अर्थव्यवस्था किस दिशा में जा रही है और किस दिशा में जाने चाहिए यह सब आर्थिक समीक्षा में बताया जाता है। आने वाले समय में किस तरह ध्यान देना चाहिए इसके लिए आर्थिक समीक्षा की शिफारसे बहुत महत्वपूर्ण है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 के मुख्य बिन्दु
- इस वर्ष का आर्थिक सर्वेक्षण कोरोना योद्धाओ को समर्पित था।
- इस वर्ष अर्थव्यवस्था V-शेप आर्थिक रिकवरी थी। V-शेप आर्थिक रिकवरी को मैगा-टीकाकरण अभियान का समर्थन विशेषकर सेवा क्षेत्र हेतु था।
- महामारी से सम्पर्क आधारित सेवाएं और मैन्यूफैक्चरिंग एवं कस्ट्रक्शन क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।
- कृषि क्षेत्र अभी भी महत्वपूर्ण क्षेत्र जीडीपी में है इस वर्ष वृद्धि 3.4 प्रतिशत रही।
- अर्थव्यवस्था 2020 में उद्योग और सेवा क्षेत्र में क्रमशः 9.6 प्रतिशत और 8.8 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी।
- वित्तीय वर्ष 2020-21 में अनुमानित 7.7 का संकुचन रहा।
- वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए देश की वास्तविक GDP में 11% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।
- वही नॉमिनल GDP में 15.4% की वृद्धि का अनुमान लगाया है।
- सेवा क्षेत्र में सालाना आधार पर FDI प्रवाह 34% बढ़ोतरी के साथ 23.6 अरब डॉलर के स्तर तक लाना है।
- विदेशी विनिमय भण्डार बढ़ाकर अब तक का सर्वाधिक 586.1 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।
- ईएएम के अनुसार , भारत 2 वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने की सम्भवना है।
- अनुसंधान और विकास क्षेत्र में व्यावसायिक क्षेत्र का योगदान बढ़ाकर 50% से अधिक करने का आह्वान किया गया है।
- 2025 तक 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा गया। सरकार इसी दिशा में काम कर रही है।
- व्यापक स्तर पर रोजगार पैदा करने के लिए कमद उठाया गया है।एसेम्बल इन इंडिया और मेक इन इंडिया को एक साथ मिला देने की बात की गयी है।
- कारोबारी अनुकूल नीतियों को प्रोत्साहित करना और बाजार की शक्ति और निजी निवेश को समर्थन देना।
- 2014 के बाद से नई कम्पनियों के गठन में तेजी आयी है।
- 2014 से 2018 के बीच नई कम्पनियों की वार्षिक वृद्धिदर 22.2% तक रही।
- 2014 में करीब 70 हजार नई कम्पनियों का गठन किया गया था।
- 2018 में करीब 1.24 लाख नई कम्पनियों का गठन किया गया।
चुनौतियाँ
- महामारी और लॉकडाउन जैसी समस्या देश में देखने को मिली
- प्रमुख क्षेत्र को मिलने वाली बैंक ऋणों की अपूर्ति।
- खाद्य वस्तुओ की बढ़ती कीमतें तथा बढ़ती महंगाई की समस्या देश के लिए नासूर बन रहे है।
आगे की राह
- अवसंरचनात्मक निवेश की आवश्यकता।
- डिजिटली करण को बढ़ावा देना
- आत्मनिर्भर बनाने में भारत अभियान को बढ़ावा देना।
- स्वास्थ्य क्षेत्र हेतु आयुष्मान भारत व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बीच सामंजस्य की गयी जिससे दोनों मिलकर काम कर सके।
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