Bhopal Gas Tragedy Case Study दोस्तों यह बात है ,3 दिसंबर 1984 की भोपाल में एक इंसेक्टिसाइड (Insecticide) बनाने वाली कंपनी मैं कुछ मज़दूर काम कर रहे थे। करीब रात 12:00 बजे थे। अचानक से कुछ मज़दूर की आंखें जलने होने लगीं ,उन सबको लगा कोई गैस लीक हुई होगी और इन मज़दूर ने जांच करनी शुरू की ये गैस कहाँ से लीक हो रही है। तभी एक मज़दूर ने देखा एक जगह से तरल बूंद – बूंद गिर रहा है। उसके साथ yellow color की गैस रही थी।
यह देखकर मज़दूर ने अपने सुपरवाइजर को बताया लेकिन सुपरवाइजर को लगा यह पानी होगा ,ऐसे छोटे मोटे लीक इतने बड़े प्लांट्स में होते रहते है। फिर सारे वर्कर करीब 12:00 बजे चाय पीने के लिए चले गए।
लेकिन 12:45 बजे तक वह smell बहुत ज्यादा हो चुकी थी। मज़दूर को महसूस हुआ कि उनकी आंखें जल रही है। और साथ में उन्हें बहुत तेज खांसी होने लगी। अब अगले दो घंटों में ये गैस हवा के जरिए पूरे भोपाल शहर में फैलती है। और भोपाल के अंदर अगले दो दिनों में हजारों लोग मारे जाते हैं ,इस भोपाल गैस कांड को दुनिया का सबसे खतरनाक इंडस्ट्रियल डिजास्टर माना जाता है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इस घटना में गलती किसकी थी क्या गलती मज़दूर की थी या फिर फैक्टरी मालिक की या फिर सरकार की।
आइए इस पोस्ट में इस घटना को गहराई से समझते हैं।
भोपाल की यह घटना जिस कंपनी में हुई वह कंपनी थी (union carbide ) यूनियन कार्बाइड यह कंपनी 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है। अगर आप इसका नाम नहीं जानते हैं तो आप इसके प्रॉडक्ट के बारे में जरूर जानते होंगे – जैसे कि एवररेडी (Eveready) पटरी, बेक लाइट, और कई सारे पेस्टीसाइड्स,रॉकेटफ्यूल भी बनाती है यह कंपनी । दुनिया भर में इसकी फैक्टरीज फैली हुई है ,और भी बहुत सारे केमिकल्सप्रोड्यूस करती है। यह फैक्ट्री ज्यादातर केमिकल्स बनती है।
1994 में इस फैक्टरी का नाम बदल कर केएवरेडी इंडस्ट्रीज रख दिया गया।
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Union Carbide Bhopal
1969 मैं इस कंपनी ने भोपाल में एक इंडस्ट्री लगाई इन्सेक्टिसाइ ड्सप्रोडक्ट्स बनाने के लिए और प्रोडक्ट नाम था (sevin) सेवेन।
Methyl Isocyanate Bhopal
सेवेन को बनाने के लिए एक केमिकल की आवश्यकता पड़ती थी जिसका नाम था methyl isocyanate मिथाइल आइसोसाइनाइड या फिर (MIC) एमआईसी यह बहुत ही डेंजरस और खतरनाक केमिकल है।
एमआईसी को इंडिया में बाहर से इम्पोर्ट करके लाया जाता था सेवेन नाम के प्रोडक्ट्स को बनाने के लिए।
एमआइसी को बाहर से इंपोर्ट करने की वजह से कंपनी को काफी घाटा होने लगा जिसके चलते कंपनी ने सोचा कि (MIC) एमआईसी को अब भारत में ही बनाया जाएगा।
union carbide को परमिशन दे दी गई सरकार के द्वारा MIC बनाने के लिए जो की sevin नाम के प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होता था।
Reason Of Bhopal Gas Tragedy (क्या कारण रहा भोपाल गैस कांड का)
1. कंपनी के द्वारा कोई अच्छा प्लान नहीं बनाया गया सुरक्षा को मध्य नजर रखते हुए की अगर कोई हादसा होता है तो क्या किया जाए क्या नहीं और union carbide अपने प्रोडक्शन में लग गई।
2. 1981 में एक मज़दूर की डेथ (मोहम्मदअशरफ) हो गई लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया कंपनी ने और प्लांट ऐसे ही चलता रहा (टाइम्स ऑफ इंडिया)
3. कंपनी ने अपने प्रॉफिट के लिए सुरक्षा पहलुओं को नज़रअंदाज़ करके काम करना शुरू कर दिया। इतना खतरनाक केमिकल उस फैक्टरी में बनाया जा रहा था भोपाल के लोगों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी और न ही वहाँ के काम करने वाले वर्कर्स को कोई बताई गई।
4. सुरक्षा पहलुओं को लेकर के कई लोगों ने वहाँ पर कंपनी का विरोध भी किया लेकिन जो भी मज़दूर विरोध करता था उसे कंपनी से निकाल दिया जाता था।
5. 1981 मोहम्मद अशरफ ने अपनी मौत के पहले अपने मित्र राजकुमार केसवानी (पत्रकार) को कंपनी में हो रही सुरक्षा लापरवाही के बारे में बताया था।
6. राजकुमार केसवानी ने अपने मित्र की मृत्यु के बाद कंपनी के बारे में खोजबीन करना शुरू कर दिया कई सारी रिपोर्ट्स के बारे में जानकारी ली और इस पूरे प्लांट पर एक रिपोर्ट लिखी ही इस प्लांट में कितने घटिया सेफ्टीस्टैंडर्स फॉलो हो रहे इस बारे में अपनी बात कही ।
7. इस रिपोर्ट की हेडलाइन थी बचाइए हुजूर इस शहर को बचाइए रिपोर्ट में उन्होंने लिखा कि यहाँ पर एक डिजास्टर हो सकता है यूनियन कार्बाइड के इस प्लांट के आस पास लगभग 20% भोपाल की जनसंख्या रहती है।
राजकुमार केसवानी ने अपनी रिपोर्ट को नाम दिया ना समझोगे तो मीट ही चाहेंगे।
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8. इन्होंने चीफ मिनिस्टर और सुप्रीम कोर्ट तक को लिख दिया था और अवगत कराया था कि यहाँ कुछ बड़ी घटना हो सकती है क्योंकि यहाँ पर सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरती जा रही है। लेकिन कोई भी जवाब नहीं मिला इन लोगों की तरफ से।
9. राजकुमार केसवानी ने लगभग इस डिजास्टर को प्रीडिक्ट कर लिया था लेकिन जब तक यह डिजास्टर हुआ नहीं था तब तक इनका कोई भरोसा नहीं कर रहा था।
10. MIC के प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए कंपनी के द्वारा सुरक्षा मापदंडों को नज़रअन्दाज़ किया जा रहा था।
11. मआईसी के प्रोडक्शन के लिए इस्तेमाल हो रहे टैंकों के ऊपर लगे प्रेशरवॉल काम नहीं कर रहे थे ,टैंकों की क्षमता से अधिक टैंकों में गैस स्टोर किया जा रहा था। और भी बहुत सारी लापरवाही हो रही थी, जो की सुरक्षा के लिहाज से बहुत गलत थी।
12. इन सबके अलावा Union carbide plant मैं मआईसी (MIC) के उत्पादन को अक्टूबर1984 में बंद कर चुका था।
13. इस फैक्टरी में दो अलार्म लगाए गए थे एक था जो वर्करों के लिए था और दूसरा अलार्म जो फैक्टरी के आसपास रहे लोगों के लिए था। लेकिन दूसरा अलार्म को बंद कर दिया गया था।
2nd Dec 1984 की रात भोपाल वालों के लिए बहुत ही खतरनाक थी क्यूंकि य घटना इसी दिन हुई।
रात के 9:00 बजे वर्करों ने अपनी शिफ्ट चेंज की और नए मज़दूर आए उन्होंने अपना हमेशा की तरह काम करना शुरू किया MIC टैंक मैं लगी पाइपों को धोना शुरू किया।
उन्होंने पाइप में पानी डाला लेकिन वो पानी दूसरी तरफ से बाहर नहीं आ रहा था तो फिर वर्करों ने फ़िल्टर साफ किया।
भोपाल गैस की रात क्या क्या हुआ था। Bhopal Gas Tragedy
• फिर उन्होंने अपने सुपरवाइजर को बताया करीब 11:00 बजे के आसपास।
• सुपरवाइजर ने ऑपरेटर को कहा कि पानी चलते रहने दो यहाँ पर जो अगली शिफ्ट में मज़दूर आएँगे वो इस पानी को स्विच ऑफ कर देंगे।
• पानी की पाइपों में स्लीप बैंड भी नहीं लगी हुई थी जो कि आमतौर पर पानी को पाइपों में जाने से रोकती है।
• तकरीबन रात 10:00 बजे से MIC टैंक में पानी जाने लगा MIC+ Water का एक खतरनाक रिएक्शन होता है।
• फिर गैसों का एक बादल बनना शुरू हुआ लेकिन जो मज़दूर फैक्टरी में मौजूद थे उनको इतनी वैज्ञानिक जानकारी जी नहीं थी। क्या करना चाहिए क्या नहीं ऐसे हालात में।
• तकरीबन 1 घंटे बाद नई शिफ्ट पर काम करने वाले मज़दूर आए और उन्होंने देखा कि उनकी आंखें जलने लगी है।
• उन्होंने पास जाकर टैंक का प्रेशर चेक किया तो प्रेशरनॉर्मल से थोड़ा ज्यादा था। लेकिन उन्हें लगा ये ठीक है लेकिन उनकी आंखें चलना बंद नहीं हुई।
• उन्होंने सोचा कहीं कोई न कोई लीक हुआ होगा, फिर वर्कर्स ने लीक को खोजना शुरू किया लगभग रात के 11:45 बजे।
• मज़दूर सुमन देव ने देखा की पाइप से बूंद बूंद करें के कोई तरल पदार्थ गिर रहा है हे।
• वर्करों ने हो रहे लीक को नज़र अन्दाज़ किया और लगभग 12:40 पर अपना टी ब्रेक लिया
• तकरीबन रात 12:30 बजे टैंक प्रेशर बढ़ता चला गया और प्रेशर की रीडिंग बहुत हाई थी ये टैंक अंडरग्राउंड थे।
• टैंक के ऊपर का कॉंक्रीट टूटना शुरू किया सुमन कंट्रोल रूम में भगा एलार्म बजने के लिए।
• MIC E610 टैंक से गैस बहुत ही तेजी से बाहर निकल रही थी, और फिर इसके बाद जो हुआ वह बहुत ही भयानक था।
• फिर तकरीबन रात के 1:00 बजे तक वहाँ मौजूद सभी लोगो ने ये हैं महसूस कर लिया था कि अब यह अवस्था किसी इंसान के नियंत्रण से बाहर है और सारी हवा में फैलने लगी। 1:00 बजे के बाद भोपाल शहर की स्थित बहुत ही खतरनाक हो चुकी थी। तरीके हवा के माध्यम से सारे इलाके में फैल चुकी थी।
• लोग बताते हैं कि हवा में फैली गैस की दुर्गन्ध जलती हुई मिर्च के सामानथी, और सभी लोग खांस रहे थे।
• और बहुत से लोग नींद में ही मर गए दम घुटने की वजह से।
• लोग हॉस्पिटल गए लेकिन डॉक्टर्स को पता ही नहीं था कि यह कौन सी बीमारी है या फिर ये किस गैस की वजह से हुआ है।या फिर वह कौन सा इलाज करें।
• अगली सुबह हजारों लोग मारे जा चूके हैं सड़कों पर जानवरों की लाशें पड़ी है और ये इंडिया का सबसे बड़ा सबसे खतरनाक इंडस्ट्रियल डिजास्टर बन जाता है।
सरकार और यूनियन कार्बाइड के द्वारा एक्शन लिया जाता है।
• यूनियन कार्बाइड कंपनी ने अपनी टेक्निकल टीम को इंडिया भेजकर बजी हुई एमआईसी गैस को किसी दूसरी गैस में कन्वर्ट कराते हैं। इस ऑपरेशन को नाम दिया इस ऑपरेशन को नाम दिया जाता है ऑपरेशनफेथ।
• फिर कंपनी काफी पैसा भेजती है भारत की सरकार को और बहुत सारी एनजीओ को लोगो की मदद के लिए।
• Warren Anderson को अरेस्ट कर लिया जाता है जो की यूनियन कार्बाइड कंपनी के चेयरमैन थे उस वक्त।वे जिम्मेदारी अपने हाथों में लेते है।
अगले साल 1985 में एक एक्ट पास किया जाता है पार्लियामेंट में जिसकी वजह से भारत सरकार को पावर मिल जाती है कि भोपाल गैस कांड के प्रभावित लोगों को कोर्ट में न्याय दिला सके।
फिर भारत सरकार और यूनियन कार्बाइड कंपनी कोर्ट में केस लड़ते हैं।
फिर यूनियन कार्बाइड और भारत सरकार दोनों अपनी-अपनी इस घटना को लेकर के छान बीन करते है।
भारत सरकार और यूनियन कार्बाइड दोनों की रिपोर्ट में कि इस घटना का कारण (water mixed with methyl isocyanate) लेकिन भारत सरकार कहती है कि यह गलती यूनियन कार्बाइड की वजह से हुई क्योंकि उन्होंने अपने स्टाफ को अच्छे से ट्रेनिंग नहीं दी,सुरक्षा मानक का अच्छे से पालन नहीं किया।
यूनियन कार्बाइड का कहना है की यह घटना भारत सरकार की वजह से हुई क्योंकि सरकार ने ही सुरक्षा डिजाइन में बदलाव करने से रोका था।
केस खत्म हो जाता है 1989 को जब यूनियन कार्बाइड फैसला करता है कि 470 मिलियन डॉलर पैसे देगा वह भारत सरकार को। लेकिन इस फैसले से भोपाल के लोग खुश नहीं थे वह लोग जो इस घटनाका शिकार हुए थे वे धरना दिया करते थे।
Case Re-Open Supreme Court
फिर फरवरी 1989 में सतीश धवन ने कोर्ट में पिटिशन फाइल करते हैं और यह केस फिर से सुप्रीम कोर्ट में ओपन हो जाता है। वारेन एंडरसन की 2014 में मृत्यु हो जाती है लेकिन फिर भी यह केस चलता रहता है
यूनियन कार्बाइड के खिलाफ़ आज भी बहुत सारे केस कोर्ट में चल रहे हैं इस घटना से प्रभावित आज भी कई लोग कोर्ट में बहुत ही पिटीशन फाइल कर चूके हैं कॉम्पेंसेशन की डिमांड के लिए।
इस घटना के बाद सरकार ने नया कानून बनाया ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके और भविष्य में इस तरह की घटना दोबारा न हो।
इसके बाद कई सारे कानून बनते हैं और कंपनी एक्ट में भी कई सारे बदलाव किए जाते हैं।
FAQ’s
Q. Who is responsible for bhopal gas tragedy? भोपाल गैस कांड का कौन जिम्मेदार था ?
ANS. भोपाल गैस कांड का जिम्मेदार था यूनियन कार्बाइड कारपोरेशन (Union Carbide Corporation ) 2nd dec 1984 क्यूंकि भोपाल गैस कांड में लगभग 45 टन खतरनाक जहरीली methyl Isocyanate हवा में फैल गई ,इंसेक्टिसाइड प्लांट यूनियन कार्बाइड कारपोरेशन के द्वारा चलाया जा रहा था। जिसेमें कई हजार लोगो की जाने चली गई।
Q. What is the reason for bhopal gas tragedy? क्या कारण रहा भोपाल गैस कांड का
ANS. methyl Isocyanate का हवा में फैलना
Q. Which toxic gas was leaked in bhopal gas tragedy?
ANS. methyl Isocyanate
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