Anti smog tower: दिल्ली में लगाए जा रहे एंटी स्माग टावर ,यह एंटी स्मोग टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा को करेगा साफ।

Anti smog tower- देश का सबसे बड़ा एंटी स्मोग टावर लगने जा रहा है अब दिल्ली में आनंद विहार बस अड्डा परिसर में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के द्वारा एंटी स्मोग टावर लगवाया जा रहा है। राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाके में प्रदूषण की वजह से हालत बहुत बुरे होते जा रहे थे। जिसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने एंटी स्मोग टावर लगवाने का फैसला लिया है। यह एंटी स्मोग टावर एक किलोमीटर की परिधि में 90 फीसद तक की हवा को साफ करेगा। पर्यावरण पर होने इसके प्रभाव को लोग वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) के रूप में डिजिटल डिसप्ले बोर्ड पर देख सकेंगे। इस टावर के ऊपर एक घडी भी लगाई जाएगी। बताया जा रहा की इस परियोजना को 15 अगस्त तक चालू कर दिया जाएगा। आइआइटी बाम्बे इस परियोजना में तकनीकी रूप से मदद लिया जा रहा है।

क्या है स्मॉग टावर (What is anti smog tower?)

Anti smog tower: दिल्ली में लगाए जा रहे एंटी स्माग टावर
Anti smog tower


हम आसान शब्दों में कहें तो स्मॉग टावर एक बहुत बड़ा एयर प्यूरीफायर है ,जो हवा को साफ करेगा। यह अपने आस पास से प्रदूषित हवा को या उसके कणों को सोख लेता है। और उस हवा को साफ कर के फिर से पर्यावरण वापस छोड़ता है। आम प्यूरीफायर की तरह यह भी बिजली से चलता हैं। इसको सोलर पावर से भी चलाया जा सकता है।

यह काम कैसे करता है ? ( How does the smog tower work?)

Anti smog tower: दिल्ली में लगाए जा रहे एंटी स्माग टावर
Anti smog tower


एंटी स्माग टावर में नीचे 1.40 मीटर व्यास के 40 पंखे लगाए गए हैं। ये पंखे टावर के ऊपरी हिस्से से प्रति सेकंड 960 घन मीटर दूषित हवा खीचेंगे। पंखों के आसपास नोवेल ज्योमेट्री फिल्टरेशन सिस्टम (एनजीएफएस) से दो तरह के दस हजार फिल्टर लगेंगे। दूषित हवा उनसे छनने के बाद शुद्ध होकर टावर के निचले हिस्से से बाहर चली जाती है। आपको य भी बता दे की सर्दियों में आनंद विहार बस अड्डे के आसपास का पीएम 2.5 का स्तर 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक रहता है। इस टावर की मदद के 2.5 पीएम के स्तर को 60 फीसद तक कम किया जा सकता है।

एंटी स्माग टावर की एक वर्ष तक केवल इसकी दक्षता जांची जाएगी। टावर में जगह-जगह सेंसर लगाए जाएंगे और इसकी मदद एंटी स्माग टावर के प्रदर्शन पर नजर रखी जाएगी। यह अगर सफलता पूर्वक काम किया तो ऐसे अनेको टावर विभिन्न शहरों के प्रदूषित इलाकों में लगाया जायेगा।

वैसे टावर की लागत उसके साइज पर निर्भर करती है , फिर भी एक टावर की लागत करीब 15 – 20 करोड़ रुपये आती है।

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